Book Title: Kasaypahudam Part 03
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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गा० २२ ]
* सोलसण्हं कोडाकोडीओ पडिवण्णाओ ।
द्विदिविहती उत्तरपयडिहिदिश्रद्धाच्छेदो
कसायाणमुक्कस्सट्ठिदिविहत्ती
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९ ३६३. कुदो १ मिच्छाइ हिरणा उक्कस्ससंकि लिड रेण बद्धकम्मइयवग्गणक्खंधारणं सोलसकस | यसरूवेण परिणयाणं सयलजीवपदेसुवगयाणं समयाहियचत्तारिवास सहस्समादि काढूण जाव चालीससागरोवमकोड | कोडीओ ति कम्मभावेण वहाव -
भादो । एदेसिं कम्माणं मिच्छत्तुकस्सद्विदीए समाया हिदी किण्ण जादा १ ण, दंसणचरितविरोहीणं पथडीणं सत्तीए समाणत्तविरोहादो । अविरोहे वा एगा चेत्र पयडी होज्ज; तासिं भेदकारणाभावादो । ण च एवं; कोहमाणमाया लोहादिकज भेए पयडीणं पि भेदसिद्धीदो ।
* एवं णवणोकसायाणं । णवरि आवलिऊणाओ ।
९ ३६४. कुदो, सोलसकसायाणमुक्कस्सडिदिं बंधिय बंधावलियकालं वोलाविय श्रावलियूणचाली ससागरोवमकोडा कोडीमेत्तलोभकसायद्विदीए णवणोकसाएस संकंताए * सोलह कषायोंकी उत्कृष्ट स्थिति विभक्ति पूरी चालीस कोड़ाकोड़ी सागर है।
९ ३६३. शंका - सोलह कषायोंकी उत्कृष्ट स्थिति पूरी चालीस कोड़ा कोड़ी सागर क्यों है ?
समाधान- जब कोई एक मिध्यादृष्टि जीव उत्कृष्ट संक्लेशरूप परिणामोंके द्वारा कार्मणवर्गणास्कन्धोंको बांधकर सोलह कषायरूप से परिणत करके समस्त जीवप्रदेशों में प्राप्त कर लेता है तब एक समय अधिक चार हजार वर्षसे लेकर चालीस कोड़ा कोड़ी सागर तक उन सोलह कषायों का कर्मरूपसे अवस्थानं पाया जाता है, इससे सिद्ध होता है कि सोलह कषायोंकी उत्कृष्ट स्थिति चालीस कोड़ाकोड़ी सागर है । तात्पर्य यह है कि सोहल कषायों का उत्कृष्ट स्थितिबन्ध चालीस कोड़ाकाड़ी सागर प्रमाण होता है ।
शंका- इन कर्मोंकी उत्कृष्ट स्थिति मिध्यात्वकी उत्कृष्ट स्थितिके समान क्यों नहीं होती है ? समाधान — नहीं, क्योंकि दर्शनमोहनीय और चारित्रमोहनीय परस्पर विरोधी प्रकृतियां हैं, अतः उनकी शक्तिको समान माननेमें विरोध आता है । यदि इनमें अविरोध माना जावे तो वे दोनों एक ही प्रकृति हो जायगी, क्योंकि अविरोध मानने पर उनमें भेदका कोई कारण नहीं रहता है । परन्तु ऐसा है नहीं, क्योंकि क्रोध, मान, माया और लोभ आदि रूप कार्यके भेद प्रकृतियों में भी परस्पर भेद सिद्ध है, अतः मिध्यात्वकी उत्कृष्ट स्थितिके समान सोलह कषायोंकी उत्कृष्ट स्थिति नहीं हो सकती है ।
* इसी प्रकार नौ नोकषायोंकी उत्कृष्ट स्थिति है । किन्तु इतनी विशेषता है कि इनकी उत्कृष्ट स्थिति एक आवलीकम चालीस कोड़ाकोड़ी सागर है ।
$ १६४. शंका – नौ नोकषायोंकी उत्कृष्ट स्थिति एक आवलीकम चालीस कोड़ा कोड़ी सागर प्रमाण क्यों है ?
चत्तालीस सागरोवम
समाधान - सोलह कषायोंकी उत्कृष्ट स्थितिको बांधकर और बन्धावलि प्रमाण कालको बिताकर एक वली कम चालीस कोड़ाकोड़ी सागर प्रमाण लोभ कषायकी स्थितिके नौ नोकषायों
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