________________
होने में भी कोई बाधा उपस्थित नहीं होगो, केवल इतना अवश्य होगा कि अनुकूल निमित्तो का अभाव रहने के कारण उस वस्तु का विवक्षित परिणमन नही होगा ।
दूसरा प्रश्न और उसका समाधान
यद्यपि उक्त उत्तर के पश्चात् भी प० फूलचन्द्र जी यह कहना चाहेगे कि प्रत्येक वस्तु का भूत, वर्तमान और भविष्यत् समयो मे से प्रत्येक समय में होने वाला परिणमन निश्चित है और प्रत्येक समय मे निश्चित प्रत्येक परिणमन की योग्यता भी वस्तु मे विद्यमान है इसलिये उस योग्यता का स्वकाल आने पर वह परिणमन अवश्य होगा अन्यथा उस काल में अन्य योग्यता का अभाव रहने के कारण वह वस्तु उस काल मे अपरिणामी ही ठहर जायगी जिससे वस्तु के स्वत सिद्ध परिणमन स्वभाव का घात हो जायगा, अत यही मानना श्रेयस्कर है कि वस्तु का स्वपरसापेक्ष परिणमन भी परनिरपेक्ष परिणमन की तरह केवल उसकी अपनी परिणमनशीलतारूप योग्यता के बल पर ही होता है निमित्त को उसको उत्पत्ति मे कोई उपयोगिता नहीं है वह तो वहा पर अकिंचित्कर ही है।
इसके उत्तर मे भी मेरा यह कहना है कि प० जी की यही सबसे बड़ी भूल है कि वे प्रत्येक वस्तु मे काल के भूत, वर्तमान और भविष्यत् समयो में से प्रत्येक समय में होने वाले परिणमन की निश्चित योग्यता मानते हैं । वास्तव मे तो प्रत्येक वस्तु मे स्वसापेक्ष अर्थात् परनिरपेक्ष और स्वपरसापेक्ष अर्थात परसापेक्ष ऐसी दो ही परिणमन योग्यताये विद्यमान हैं। इनमें से स्वसापेक्ष अर्थात् परनिरपेक्ष परिणमनयोग्यता के बल पर होने वाला परिणमन तो क्रमश एक के बाद एक के रूप मे