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९ त सहायक हो सकता है । मेरा विद्वानो वे इस पर तर्क और आगम के आधार पर प्रयत्न करे | वर्तमान मे विद्वानो का ध्यान का पता लगाने की ओर नही है यह वडे दुख की बात है ।
से निवेदन है कि विचार करने का आगम के रहस्यो
इस प्रकरण मे मेरा प्रयत्न जीव की कर्मों और नोकर्मों के साथ वद्धता तथा दो आदि वस्तुओ के सयोग सामान्य, निमित्त नैमित्तिक भाव और आघाराधेयभाव आदि की वास्तविकता ( सद्भुतता ) को बतलाने, व्यवहार और उपचार के अर्थों को स्पष्ट करने एव व्यवहार की हेयता व उपादेयता तथा उसके छूटने न छूटने के उपायों पर प्रकाश डालने का रहा है । आशा है कि विद्वानो का ध्यान इस ओर अवश्य जायग |--