Book Title: Jain Tattva Mimansa ki Mimansa
Author(s): Bansidhar Pandit
Publisher: Digambar Jain Sanskruti Sevak Samaj

View full book text
Previous | Next

Page 405
________________ ३६६ भी इससे यह निकर्ष तो कदापि नही निकाला जा सकता है कि मिट्टी मे यदि घट के निर्माण की योग्यता है तो कदाचित् कुम्भकार आदि निमित्त सामग्री के सहयोग के बिना ही घट का निर्माण हो जायगा । सत्य बात तो यह है कि एक ओर तो मिट्टी मे पटनिर्माण की योग्यता के अभाव मे जुलाहा आदि निमित्त सामग्री का सहयोग उससे पट के निर्माण मे सर्वदा असमर्थ ही रहेगा और दूसरी ओर उस मिट्टी से घट निर्माण की योग्यता के सद्भाव मे भी घट का निर्माण तभी संभव होगा जब कि उसे कुम्भकार आदि निमित्त सामग्री का अनुकूल सहयोग प्राप्त होगा और जब तक उसे कुम्भकार आदि निमित्त सामग्री का सहयोग प्राप्त नही होगा तब तक उससे घट का निर्माण असभव ही रहेगा । यह बात दूसरी है कि उस समय मिट्टी को जैसी अनुकूल निमित्त सामग्री का सहयोग प्राप्त होगा वैसा हो कार्य उस मिट्टी से उस समय उत्पन्न होगा । प० प्रवर टोडरमलजी के उक्त कथन का यह भी अभिप्राय नही है कि अमुक मिट्टी से चूकि घट का निर्माण होना है अत उसकी प्रेरणा से कुम्भकार तदनुकूल व्यापार करता है, क्योकि यदि ऐसा माना जाय तो व्यक्ति को कभी कार्य मे असफलता नही मिलनी चाहिये, दूसरे यह बात अनुभव के भी विरुद्ध है । इसका कारण यह है कि लोक मे कोई भी व्यक्ति किसी भी कार्य के करते समय यह अनुभव नही करता है कि चूंकि अमुक वस्तु से इस समय अमुक कार्य निष्पन्न होना है इसलिये मेरा व्यापार उसके अनुकूल हो रहा है । इसके विपरीत वह तो कार्योत्पत्ति के समय केवल इतना

Loading...

Page Navigation
1 ... 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421