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- शुद्धि
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૨૪૬
ર૪
१५० १०-११ १५१६
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अशुद्धि एक से अर्थ एक ही अर्थ देशाशो पर देशाशो जो स्वीकार किया जो स्वीकार किया गया है गया है तो इसका आशय यह है कि । उनके आकार उनके आकार का होता है का होता है तो इसका आशय यह है कि अवस्था निमित्त अवस्था में निमित्त स्थान-स्थान उस उस पर तो यथास्थान पर तो परिणति सहायक परिणति मे सहायक निमित्त नैमित्तिक निमित्त नैमित्तिक भाव भाव व्यवहारमय व्यवहारनय पदार्थों से पदाथों मे इसको बात अवश्य इतनी बात अवश्य है कि है एक की एक की रहने से निश्चय- रहने से वह निश्चयनय का नय का रहने से व्यवहार- रहने से वह व्यवहारनय का नय का शब्दो द्वारा प्रति- शब्दो द्वारा अर्थ का प्रतिपादन पादन भूलार्थ सप्ताचि प्रत्ययो- सप्ताचि प्रत्ययौपण्य
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१-२
४
१६१
१७
१६१
१६
१६१
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भूतार्थ
१२
कथचित्
कल्पित