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२७० १५
२७० १५
२७४
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४
२६५ ७
२६५ १४
३०० २३
३०१
१३
३०६
१७
३०७
३०६
३११
३२१
१७
२५.
६
१७
८
१०
अशुद्धि
तब वे
सकप
प० जगन्मोहन
लाल जी कर
प्रयात
उनके समक्षी
प्रश्न
प्रश्न है
निमित्ता नैमित्तिक निमित्त नैमित्तिक
केवल त्रान
केवल ज्ञान
उस हाल मे
उस हालत मे
अतिचित्कर
शब्द से
परिणमन न तो
शुद्धि
यह आश्रय
इसका अवश्य है निष्क्रिया
जब वे
सकल्प
प० जगन्मोहन लाल जी
का
प्रपात
सपक्षी
अकिंचित्कर
शब्द मे
परिणमन तो कहा जाता
द्रव्य रूप समर्थ सभवति
आत्मा का
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कहा जाना
द्रव्य समर्थ
सभवति
आत्मा को
उपयुक्ताकार भाव
वर्ती
उपयुक्ताकार ज्ञान रूप भाववती
सातिशय क्षयोपशम सातिशय क्षयोपशम अथवा
क्षय
यह आशय
इतना अवश्य है निष्क्रियता