________________
पृष्ठ पक्ति
शुद्धि
ه
आवश्यक शुद्धि-पत्र
अशुद्धि लिखा जाना लिखे जाने जैनतत्त्वमीमासा जैनतत्त्वमीमासा प्रारम्भ
की मीमासा प्रारम्भ तत्त्वमीमासा जनतत्त्वमीमांसा
x 9
ه
م
م
ع
१०
१८ २०
होना है
होता है होकर
होने पर मतभेद कहा कहा है ? इस वाक्यको पक्ति २०से
अलगकरके उपशीर्षक के रूप मे पृथक् पढ़ना
चाहिये। जहां भी प० जहा प० फूलचन्द्र जी फूलचन्द्र जी भिन्न रखने वालो भिन्न मत रखने वालो कहना है जब कहना है कि जव । निमित्त
निमित्तो
१६ १६
१२ २५
"
१६ ९-१०
०.our
'अस्पष्ट गलत गाथा १८३ गाथा १८४
अस्पष्ट, गलत गाथा १८२ गाथा १८३