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अनुसार भो उस-उस पदार्थ के अन्दर ही हुमा करते है, अर्थात् जो परिणमन जिस पदार्थ मे होता है वह उसी पदार्थ का है ऐसा नही है कि एक पदार्थ का कोई परिणमन किसी अन्य पदार्थ मे प्रविष्ट हो जाता हो, फिर भी प्रत्येक पदार्थ के स्वपरप्रत्यय परिणमन मे स्व के साथ परपदार्थ की सहायता को अपेक्षा रहने क कारण परपदार्थ की कारणता का निषेध किसी भी हालत मे नही किया जा सकता है।
___ माना कि एक पदार्थ दूसरे पदार्थ को बलात् नही परिणमा सकता है अर्थात् परिणमन करने वाले पदाथ का वह परिणमन स्व की योग्यता के अभाव मे परपदार्थ द्वारा नही कराया जा सकता है जैसा कि पूर्व मे घटादि दृष्टान्तो के आधार पर विस्तार के साथ कहा जा चुका है, परन्तु क्या यह निर्विवाद नहीं है कि मिट्टी का घटरूप परिणमन मिट्टी मे तदनुकूल योग्यता के रहते हुए भी कुम्भकार, दण्ड, चक्क आदि के सहयोग से हुआ करता है अन्यथा नहीं। इसलिये "एक पदार्थ दूसरे पदार्थ को बलात् नही परिणमा सकता" इस वाक्य का यह अर्थ-कि एक पदार्थ मे जो भी परिणमन होता है वह केवल उसके अपने परिणमन स्वभाव के आधार पर ही हो जाया करता है उसमे अन्य पदार्थ का सहयोग अपेक्षित नहीं रहा करता है वह तो वहाँ अकिंचित्कर ही बना रहता है स्वीकार करना भ्रान्त धारणा के अतिरिक्त कुछ भी नही है । इसमे घटादि दृष्टान्तो के साथ यह दृष्टान्त भी जोडा जा सकता है कि गाड द्वारा हरी झण्डी बताने पर हो ड्राइवर रेलगाडी का चलाता है और सिगनल के जरिये जब तक उसे सके। प्राप्त नहीं होता तब तक वह उसे स्टेशन के क्षेत्र मे नही