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में १० पूजनन्द जार उत्तः विषय सम्बन्धा वन का मोगामा करते ए पहले ती म्पष्ट गर का कि किसी भी वस्तु में जो गिगो भी प्रकार गा परिणमनरूप कार्य उत्पन्न होता है यह उरा वन्तु में पायी जाने वाली उस कार्य के अनुहारल उपादान पाक्ति के आधार पर ही उतान होता है। यह बात नहीं है कि कोई अन्य वस्तु जिसे निमित्त नाम से पुकारा जाता है- किसी अन्य वस्तु गे ऐसा भी परिणमनरुप कार्य उत्पन्न