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विकल्प व्यवहाररूप है। नाम, स्थापना, द्रव्य और भाव के विकल्पो मे भावरूपता निश्चय का और नाम, स्थापना तथा द्रव्यरूपता व्यवहार का विकल्प है। स्वतन्त्रता और परतन्त्रता, स्वाश्रयता और पराश्रयता तथा अबद्धता और बद्धता के विकल्प युगलो मे पूर्व-पूर्व का विकल्प निश्चय रूप है और उत्तर-उत्तर का विकल्प व्यवहाररूप है। इसी तरह ससार और मुक्ति के विकल्पो मे ससार व्यवहार का और मुक्ति निश्चय का विकल्प है। कार्य और कारण, साध्य और साधन तथा उद्देश्य और विधेय के विकल्पयुगलो मे पूर्व-पूर्व का विकल्प निश्चयरूप है और उत्तर-उत्तर का विकल्प व्यवहार रूप है। इसी तरह उपादेयता और नैमित्तिकता के विकल्पो मे उपादेयता निश्चय का और नैमित्तिकता व्यवहार का विकल्प है। उपादान और निमित्त के विकल्पो मे उपादानता निश्चय का और निमित्तता व्यवहार का विकल्प है। स्वप्रत्ययता और स्वपरप्रत्ययता के विकल्पो मे स्वप्रत्ययता निश्चय का और स्वपरप्रत्ययता व्यवहार का विकल्प है। स्वपरप्रत्यय परिणमन मे स्वप्रत्ययता निश्चय का और परप्रत्ययता व्यवहार का विकल्प है। यहाँ इतना विशेप समझना चाहिये कि कार्य या तो स्वप्रत्यय होता है या स्वपरप्रत्यय होता है कोई भी कार्य केवल परप्रत्यय नही होता है। साक्षाद्र पता और परम्परारूपता के विकल्पो मे पहला निश्चय का और दूसरा व्यवहार का विकल्प है। भूत, भविष्यत् और वर्तमान के विकल्पो मे वर्तमानता निश्चय का और भूतता तथा भविष्यत्ता व्यवहार का विकल्प है। सामान्य और विशेष, सग्रह और व्यवहार, सक्षेप और विस्तार तथा ओघ और आदेश के विकल्पो मे पूर्व-पूर्व का विकल्प निश्चय का और उत्तर-उत्तर का विकल्प व्यवहार का है । द्रव्यानुयोग को दृष्टि से विधिरूपता निश्चय का और निषेधरूपता व्यवहार