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जो मनुष्य पुरुषार्थीको विना क्रमके सेवन करते हैं . .
. वे कैसे हैं ? २४० जो अपने पदके योग्य कार्य नहीं करते वे कैसे हैं ? २४९,
दूसरा अधिकार. ' उपवास के दिन कौनसी भावनाओं का चिंतन करना
चाहिये व सोलहकारण भावनाओं का स्वरूप २६६ दशधर्मोका स्वरूप
३०२ निःशीकतादिक अंगोंका स्वरूप मूढताओंका लक्षण
३४४ छहों अनायतनोंका लक्षण मदोंका लक्षण
तीसरा अधिकार. बारह अनुप्रेक्षाओंका स्वरूप सात तत्त्वोंका स्वरूप मात व्यसनोंका स्वरूप पांच पाप । पाप और व्यसनोंमे भेद
चौथा अधिकार. पाक्षिक श्रावकका लक्षण नैष्टिक श्रावक व ग्यारह प्रतिमाओंका स्वरूप बारह व्रतोंका स्वरूप और अतिचार .... ४५९. तीसरीसे ग्यारहवी प्रतिमाओंके लक्षण .... प्रशस्ति
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