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अनुक्रमाणकी।
पृष्टांक
८०३
बिषय
पृष्टांक विषय वात विपर्य के लक्षण
श्रेष्ठाञ्जन पित्ताभिष्यंद के लक्षण
सिरा ब्याधादि पित्ताधिमथ के लक्षण
८०४
शूल नाशक परिषेक कफाभियंद के लक्षण
आश्चोतन में क्वाथ रक्ताधिमथं के लक्षण
संधावप्रयोग अधिमंथ को विशेषता
अन्य प्रयोग सूजनवाला नेत्रप्रयोग
अन्य प्रयोग अक्षि पाकात्य रोग
दाह नाशक प्रयोग अम्लोषित के लक्षण
शोधनाशक प्रयोग सर्व नेत्ररोगों की संख्या
अन्य प्रयोग असाध्य रोग
आश्चोतन दृष्टिनाशक में काल परिमाण
घर्षादिनाशक गुटिका षोडशो ऽध्यायः ।
शोफनाशक अन्य प्रयोग प्रारूप में कर्त्तव्य
अम्लोषित की चिकित्सा दाहशांति में विडालादि कारण
उत्लष्टादिक १८ रोग चूर्ण व गुंठन
" पिल्लीभूत की सामान्य चिकित्सा अन्य चूर्ण
पिल्लुनाशक सेक मेत्र में औषध धारण सर्व दोषों में परिषेक
पिल्ल में अंजन
अन्य अंजन नेगपीड़ा पर सहजने का रस नेत्ररोग पर सक्तु पिण्डिका
अन्य प्रयोग वातज अभिष्यंद में आशचोतन
पिल्ल शुक्रनाशक घर्ति रक्त पित्ताभिप्यद की औषध
अन्य प्रयोग दाहादि नाशक रोग
पिल्लमें रोमवर्द्धक चूर्ण पित्तादिनाशक प्रयोग
पिल्ल रोपण काजल कफाभिष्यंद में कर्तव्य
अन्य कर्तव्यादि त्रिदोषज अभिष्यंद में कर्तव्य
स्वस्थनेत्र में सेवनविधि अन्य प्रयोग
बेग संरोधादिक वर्जन लेपादि प्रयोग
पाद शिराओं कीनेत्रों संलग्नता तिमिरादि में यथायोग चिकित्सा उपानहादि सेवन भ्रवादि दाह
सप्तदशोऽध्यायः । वातादि रोग नाशिनी वर्ती पित्तरक्त नाशिनी वर्ति
कान में दर्द का हेतु कफाक्षिरोगनाशिनी वर्ति
पित्त से दाहादि पाशु पात नामक योग
| कफज कर्णरोग शुष्काक्षिपाक की चिकित्सा
रक्तज कर्ण शूल उक्त रोगमेजन
सान्निपातक कर्ण शूल
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