Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 02
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगन्द्रिका टीका सूत्र १७९, दशनामनिरूपणम् षष्टाध्ययनपारम्भे-'पुराकड अदइमे सुणेह' इत्यादि गाथाऽस्ति, तत्स्थम् 'अद्द' इति पदमादाय इदमध्ययनम् अदइज्ज' इत्युच्यते। उक्तश्च-'अद्दपुरा अहसुभो, नामेण अदगो य अणगारो ! ततो समुद्दियभिणं, अज्झयणं अद्दइज्जति" ॥१॥ 'जण्णइज्ज' इति, उत्तराध्ययनस्य पश्चविंशतितमाध्ययनपारम्भे-'माहणकुलसंभूओ, आसी विप्पो महाजसो। जायाई जम्मजण्णम्मि, जयघोसित्ति नामओ' इति गाथाऽस्ति, तत्स्थं 'जण्ण' इति पदमादायेदमध्ययनं 'जण्णीयं' इत्युच्यते । 'उसु. यारिज्' इति. उत्तराध्ययनस्य चतुर्दशाध्ययनमारम्भे-'देवा भवित्ता णपुरे भवम्मि, केईचुया एग विमाणवासी । पुरे पुराणे उसुयारनामे, खाए समिद्धे सुरलोगरम्मे' इति गाथास्ति, तत्स्थम्-'उनुयार'-पदमादायास्याध्ययनस्य नाम 'उसुयारिज्ज' बोध्यम् । 'एलइज्ज' इति, उत्तराध्ययनस्य सामाध्ययनमारम्भे-'जहाएसं समुदिका नाम हो गया है। सूत्रकृताङ्ग के द्वितीय श्रुतस्कंध के छठे अध्ययन के प्रारम्भ में 'पुराकडं अद्दइमं सुह' ऐसी गाथा है, सो वहां के अग पद को लेकर इस अध्ययन का नाम " अद्दहज्ज" ऐसा हो गया है। उत्तराध्ययन के २५ वें अध्ययन के प्रारम्भ में “माहणकुलसंभूओ आसी विप्पो महाजमो जाबाई जम्भजण्णम्मि जयघोसोत्ति नामओ" ऐसी गाथा है। उस गाथास्थ 'जण्ण" इस पद को लेकर यह अध्ययन " जण्णीय" इस नाम से कहा गया है। उत्तराध्ययन के चौदहवें अध्ययन के प्रारम्भ में " देवा भचित्ताण पुरे भवम्मि, केईचुया एग विमाण वासी । पुरे पुराणे उसुयारनामे खाए समिद्धे सुरलोगरम्मे" ऐसी गाथा है । उसके ' उसुधार ' इस पद को लेकर इस अध्ययन का नोम " उसुशारिजन' हुआ है । उत्तराध्ययन के सप्तम अध्यय के એવું તે અધ્યયનનું નામ રાખવામાં આવ્યું છે, સૂત્રકૃતાગના દ્વિતીએ श्रुत २४ घना ७४१ मध्ययनना प्रारममा "पुराकडं" अहइमं सुणेह' मेवी गाथा छ तो त्यांना '६५४'ने सन अध्ययननु नाम "अदइज्ज" मे ७ आयु छ. उत्तराध्ययनना २५ मा अध्ययनना प्रारममा "माहणकुलसंभूओ आसी विप्पो महाजसो जायाई जनजण्णम्नि जयघोस्रो ति नामओ" मेवा ॥॥ छ. २ आयामां आवेस "जण्ण" ५६ने धन ! अध्ययन "जण्णीय" AL नामयी समाधाय छे. उत्तराध्ययनना १४ मा अध्ययनना प्रारमना “ देवा भविताण पुरे भवन्मि, केई चुया एग विमाणवासी । पुरे पुराणे उसुयारन मे खारसमिद्दे सुरलोगरम्मे" मेवी या छे. तेना उसुयार' ५४थी मा अध्ययननु नाम 'उसुयारिज्ज' छ. उत्त२॥ध्ययनमा सातमा
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