Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[ प्रज्ञापनासूत्र परिणाम के दो प्रकार : क्यों और कैसे ? - परिणाम वैसे तो अनेक प्रकार के होते हैं, किन्तु - मुख्यतया दो द्रव्यों का आधार लेकर परिणाम होते हैं, इसलिए शास्त्रकार ने परिणाम के दो मुख्य प्रकार बताए हैं - जीवपरिणाम और अजीवपरिणाम। जीव के परिणाम को जीवपरिणाम और अजीव के परिणाम को अजीवपरिणाम कहते हैं। दशविध जीवपरिणाम और उसके भेद-प्रभेद
९२६. जीवपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! दसविहे पण्णत्ते । तं जहा- गतिपरिणामे १ इंदियपरिणामे २ कसायपरिणामे ३ लेसापरिणामे ४ जोगपरिणामे ५ उवओगपरिणामे ६ णाणपरिणामे ७ दंसणपरिणामे ८ चरितपरिणामे ९ वेदपरिणामे १०।
[९२६ प्र.] भगवन् ! जीवपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ?
[९२६ उ.] गौतम ! (जीवपरिणाम) दस प्रकार का कहा है। वह इस प्रकार - (१) गतिपरिणाम, (२) इन्द्रियपरिणाम, (३) कषायपरिणाम, (४) लेश्यापरिणाम, (५) योगपरिणाम, (६) उपयोगपरिणाम, (७) ज्ञानपरिणाम, (८) दर्शनपरिणाम, (९) चारित्रपरिणाम और (१०) वेदपरिणाम।
९२७. गतिपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते?
गोयमा ! चउविहे पण्णत्ते । तं जहा - णिरयगतिपरिणामे १ तिरियगतिपरिणामे २ मणुयगतिपरिणामे ३ देवगतिपरिणामे ४ ।
[९२७ प्र.] भगवन् ! गतिपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ?
[९२७ उ.] गौतम ! (गतिपरिणाम) चार प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार - (१) निरयगतिपरिणाम (२) तिर्यग्गतिपरिणाम (३) मनुष्यगतिपरिणाम और (४) देवगतिपरिणाम।
९२८. इंदियपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते ! तं जहा - सोइंदियपरिणामे १ चक्खिदियपरिणामे २ घाणिंदियपरिणामे ३ जिभिदियपरिणामे ४ फासिंदियपरिणामे ५ ।
[९२८ प्र.] भगवन् ! इन्द्रियपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ?
[९२८ उ.] गौतम! पांच प्रकार का कहा गया है- (१) श्रोत्रेन्द्रियपरिणाम, (२) चक्षुरिन्द्रियपरिणाम, ३) घ्राणेन्द्रियपरिणाम, (४) जिह्वेन्द्रियपरिणाम और (५) स्पर्शेन्द्रियपरिणाम ।
९२९. कसायपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?