Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[प्रज्ञापनासूत्र
आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य ६ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगी य ७ अहवेगे य ओरालियमीसगसरीरकायप्पओगी य आहारगसरीरकायपपओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य ८ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य कम्मासरीरकायप्पओगी य ९ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य कम्मासरीरकायपपओगिणो य १० अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणी य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगी य ११ अहवेगे य
रालियमीसासरीरकायप्पओगिणोय आहारगसरीरकायप्पओगी आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य १२ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारगमोसासरीरकायप्पओगी य कम्मासरीरकायप्पओगी य १३ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य १४ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगी य १५ अहवेगे य. ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य १६, एवं एते चउसंजोएणं सोलस भंगा भवंति । सव्वे वि य णं सपिंडिया असीतिं भंगा भवंति ८० ।
[१०८३ प्र.] भगवन् ! मनुष्य क्या सत्यमनःप्रयोगी अथवा यावत् कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी होते हैं ?
[१०८३ उ.] गौतम ! मनुष्य सत्यमन:प्रयोगी यावत् (अर्थात्- चारों प्रकार के मनःप्रयोगी, चारों प्रकार के वचनप्रयोगी) औदारिकशरीरकाय-प्रयोगी भी होते हैं, वैक्रियशरीरकाय-प्रयोगी भी होते हैं, और वैक्रियमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी भी होते हैं। १. अथवा कोई एक औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी होता है, २. अथवा अनेक (मनुष्य) औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी होते हैं, ३. अथवा कोई एक आहारकशरीरकायप्रयोगी होता है, ४. अथवा अनेक आहारकशरीरकाय-प्रयोगी होते हैं, अथवा ५. कोई एक आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी होता है, ६.अथवा अनेक आहारकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी होते हैं,७. अथवा कोई एक कार्मणशरीरकायप्रयोगी होता हैं, ८. अथवा अनेक कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी होते हैं। (इस प्रकार) एक-एक के (संयोग से) ये आठ भंग होते हैं।
१. अथवा कोई एक (मनुष्य) औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी और एक आहारकशरीरकाय-प्रयोगी होता है, २. अथवा एक औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी और अनेक आहारकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी होते हैं,