Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[प्रज्ञापनासूत्र
भी सूक्ष्म, बादर पर्याप्तक और अपर्याप्तक के भेद से दो-दो प्रकार समझ लेनी चाहिए ।)
१४८०. बेइंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते?
गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते । तं जहा - पजत्तबेइंदियओरालियसरीरे य अपजत्तबेइंदियओरालियसरीरे य।
[१४८० प्र.] भगवन् ! द्वीन्द्रिय-औदारिकशरीर कितने प्रकार का कह गया है ?
[उ.] गौतम ! (वह) दो प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार - पर्याप्तद्वीन्द्रिय-औदारिकशरीर और अपर्याप्तद्वीन्द्रिय-औदारिकशरीर । .
१४८१. एवं तेइंदिय-चरिं दिया वि ।
[१४८१] इसी प्रकार त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय (औदारिक शरीर के भी पर्याप्त और अपर्याप्तक, ये दोदो प्रकार जान लेने चाहिए ।)
१४८२. पंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते । तं जहा - तिरिक्खपंचेंदियओरालियसरीरे यं मणुस्सपंचेंदियओरालियसरीरे य ।
[१४८२ प्र.] भगवन् ! पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर कितने प्रकार का कहा गया है ?
[उ.] गौतम ! (वह) दो प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार-तिर्यञ्च-पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर और मनुष्य-पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर ।
१७८३. तिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरेणं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते?
गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते। तं जहा - जलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य १ थलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य २ खहयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य३। __ [१४८३ प्र.] भगवन् ! तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर कितने प्रकार का कहा गया है?
[उ.] गौतम ! (वह)तीन प्रकार का कहा गया है, यथा- (१) जलचर-तिर्यञ्चयोनिकपंचेन्द्रियऔदारिकशरीर (२) स्थलचर-तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर और (३) खेचर-तिर्यञ्चयोनिकपंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर ।
१४८४. [१] जलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरेणं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते । तं जहा - सम्मुच्छिमजलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे