Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 510
________________ इक्कीसवाँ अवगाहना-संस्थान-पद | [४८९ वैक्रियशरीर में प्रमाणद्वार १५२७. वेउव्वियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं, उक्कोसेणं सातिरेगं जोयणसयसहस्सं । [१५२७ प्र.] भगवन् ! वैक्रियशरीर की अवगाहना कितनी है ? [उ.] गौतम ! (वह) जघन्यतः अंगुल के असंख्यातवें भाग की और उत्कृष्टत: कुछ अधिक (सातिरेक) एक लाख योजन की कही गई है । १५२८. वाउक्काइयएगिंदियवेउव्वियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता? गोयमा ! जहण्णेण अंगुलस्स असंखेजइभागं, उक्कोसेण वि अंगुलस्स असंखेज्जइभागं । [१५२८ प्र.] भगवन् ! वायुकायिक-एकेन्द्रियों के वैक्रियशरीर की अवगाहना कितनी कही गई है ? [उ.] गौतम ! (वह) जघन्यतः अंगुल के असंख्यातवें भाग की और उत्कृष्ट भी अंगुल के असंख्यातवें भाग की (कही गई है।) १५२९.[१] णेरइयपंचेंदियवेउव्वियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता । तं जहा - भवधारणिज्जा य उत्तरवेउव्विया य । तत्थ णंजा सा भवधारणिजा सा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं, उक्कोसेणं पंचधणुसयाई। तत्थ णं जा सा उत्तरवेउव्विया सा जहण्णेणं अंगुलस्स संखेजइभागं, उक्कोसेणं धणुसहस्सं । [१५२९-१ प्र.] भगवन् ! नैरयिक-पंचेन्द्रियों के वैक्रियशरीर की अवगाहना कितनी कही गई है ? [उ.] गौतम ! (वह) दो प्रकार की कही गई है, यथा- भवधारणीया और उत्तरवैकिया अवगाहना । उनमें से जो उनकी भवधारणीया-अवगाहना है, वह जघन्यतः अंगुल के असंख्यातवें भाग की है और उत्कृष्टतः पाँचसौ धनुष की है तथा उत्तरवैक्रिया-अवगाहना जघन्यतः अंगुल के संख्यातवें भाग की और उत्कृष्टत: एक हजार धनुष की है । [२] रयणप्पभापुढविणेरइयाणं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता । तं जहा-भवधारणिज्जा य उत्तरवेउव्विया य । तत्थ णं जा सा भवधारणिज्जा सा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं, उक्कोसेणं सत्त धणूई तिण्णि रयणीओ छच्च अंगुलाई । तत्थ णं जा सा उत्तरवेउव्विया सा जहण्णेणं अंगुलस्स संखेजइभागं, उक्कोसेणं पण्णरस धूणूई अड्डाइजाओ रयणीओ। [१५२९-२ प्र.] भगवन् ! रत्नप्रभापृथ्वी के नारकों की शरीरावगाहना कितनी कही गई है ?

Loading...

Page Navigation
1 ... 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545