Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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इक्कीसवाँ अवगाहना-संस्थान-पद]
[५१९
ओरालियसरीरं?
गोयमा ! जस्स ओरालियसरीरं तस्स आहारगसरीरं सिय अस्थि सिय णत्थि, जस्स पुण आहारगसरीरं तस्स ओरालियसरीरं णियमा अस्थि ।
। [१५६० प्र.] भगवन् ! जिसके औदारिकशरीर होता है, क्या उसके आहारकशरीर होता है ? तथा जिसके आहारकशरीर होता है उसके क्या औदारिकशरीर होता है ?
[उ.] गौतम ! जिसके औदारिकशरीर होता है, उसके आहारकशरीर कदाचित् होता है, कदाचित् नहीं भी होता है । किन्तु जिस जीव के आहारकशरीर होता है, उसके नियम से औदारिकशरीर होता है।
१५६१. जस्स णं भंते ! ओरालियसरीरं तस्स तेयगसरीरं ? जस्स तेयगसरीरं तस्स ओरालियसरीरं ?
गोयमा ! जस्स ओरालियसरीरं तस्स तेयगसरीरं णियमा अत्थि, जस्स पुण तेयगसरीरं तस्स ओरालियसरीरं सिय अस्थि सिय णत्थि ।
• [१५६१ प्र.] भगवन् ! जिसके औदारिकशरीर होता है, क्या उसके तैजसशरीर होता है ? तथा जिसके तैजसशरीर होता है, क्या उसके औदारिकशरीर होता है ?
[उ.] गौतम ! जिसके औदारिकशरीर होता है, उसके नियम से तैजसशरीर होता है, और जिसके तैजसशरीर होता है, उसके औदारिकशरीर कदाचित् नहीं (भी) होता है ।
१५६२. एवं कम्मगसरीरं पि । ___ [१५६२] (औदारिकशरीर के साथ तैजसशरीर के संयोग के समान, औदारिकशरीर के साथ) कार्मणशरीर का संयोग भी समझ लेना चाहिए ।
१५६३. [१] जस्स णं भंते ! वेउव्वियसरीरं तस्स आहारगसरीरं ? जस्स आहारगसरीरं तस्स वेउव्वियसरीरं? ___ गोयमा ! जस्स वेउव्वियसरीरं तस्साहारगसरीरं ‘णत्थि, जस्स वि य आहारगसरीरं तस्स वि वेउब्वियसरीरं णत्थि ।
[१५६३-१ प्र.] भगवन् ! जिसके वैक्रियशरीर होता है, क्या उसके आहारकशरीर होता है ? तथा जिसके आहारकशरीर होता है, उसके क्या वैक्रियशरीर भी होता है ?
[उ.] गौतम ! जिस जीव के वैक्रियशरीर होता है, उसके आहारकशरीर नहीं होता, तथा जिसके आहारकशरीर होता है, उसके वैक्रियशरीर नहीं होता है ।