Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[प्रज्ञापनासूत्र
[२] तेया-कम्माइं जहा ओरालिएण समं (सू. १५६१-६२) तहेव आहारगसरीरेण वि समं तेया-कम्माई चारेयव्वाणि ।
[१५६३-२] जैसे (सू. १५६१-१५६२ में) औदारिक के साथ तैजस एवं कार्मण (शरीर के संयोग) का कथन किया है, उसी प्रकार आहारकशरीर के साथ भी तैजस-कार्मणशरीर (के संयोग) का कथन करना चाहिए।
१५६४. जस्स णं भंते ! तेयगसरीरं तस्स कम्मगसरीरं ? जस्स कम्मगसरीरं तस्स तेयगसरीरं? - गोयमा ! जस्स तेयगसरीरं तस्स कम्मगसरीरं नियमा अस्थि, जस्स वि कम्मगसरीरं तस्स वि तेवगसरीरं णियमा अस्थि ।
[१५६४ प्र.] भगवन् ! जिसके तैजसशरीर होता है, क्या उसके कार्मणशरीर होता है ? (तथा) जिसके कार्मणशरीर होता है, क्या उसके तैजसशरीर भी होता है ?
[उ.] गौतम ! जिसके तैजसशरीर होता है, उसके कार्मणशरीर अवश्य ही (नियम से) होता है और जिसके कार्मणशरीर होता है, उसके तैजसशरीर भी होता है।
विवेचन - शरीरों के परस्पर संयोग की विचारणा - संयोगद्वार के प्रस्तुत ६ सूत्रों (१५५९ से १५६४ तक) में एक जीव में औदारिकशरीर आदि पांच शरीरों में से कितने शरीर एक साथ संभव हैं? इसका विचार किया गया है।
फलितार्थ - इन सब सूत्रों का फलितार्थ इस प्रकार है१. औदारिक के साथ-वैक्रिय आहारक, तैजस, कार्मण संभव हैं । २. वैक्रिय के साथ-औदारिक, तैजस, कार्मण, शरीर संभव हैं । ३. आहारक के साथ-औदारिक, तैजस, कार्मण शरीर संभव हैं । ४. तैजस के साथ-औदारिक, वैक्रिय, आहारक कार्मण शरीर संभव हैं । ५. कार्मण के साथ-औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तैजस शरीर संभव है ।
स्पष्टीकरण-(१) जिसके औदारिकशरीर होता है, उसके वैक्रियशरीर विकल्प से होता है । क्योंकि । वैक्रियलब्धिसम्पन्न कोई औदारिकशरीरी जीव यदि वैक्रियशरीर बनाता है, तो उसके वैक्रियशरीर होता है । जो जीव वैक्रियलब्धिसम्पन्न नहीं है, अथवा वैक्रियलब्धियुक्त होकर भी वैक्रियशरीर नहीं बनाता, उसके
१.
पण्णवणासुत्तं (प्रस्तावनादि) भा. २, पृ. ११८