Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 503
________________ ४८२ ] [प्रज्ञापनासूत्र [उ.] गौतम ! कर्मभूमिक-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रियों के वैक्रियशरीर होता है, (किन्तु) न तो अकर्मभूमिक-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रियों के वैक्रियशरीर होता है और न ही अन्तरद्वीपज-गर्भज-मनुष्यपंचेन्द्रियों के वैक्रियशरीर होता है । [३] जदि कम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसपंचेंदियवेउव्वियसरीरे किं संखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्वंतियमणूसपंचेंदियवेउव्वियसरीरे असंखेजवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसपंचेंदियवेउव्वियसरीरे ? . गोयमा ! संखेजवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्त्रंतियमणूसपंचेंदियवेउब्वियसरीरे, णो असंखेजवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसपंचेंदियवेउव्वियसरीरे । [१५१९-३ प्र.](भगवन् !) यदि कर्मभूमिक-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रियों के वैक्रियशरीर होता है तो क्या संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिक-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रियों के वैक्रियशरीर होता है, अथवा असंख्येयवर्षायुष्ककर्मभूमिक-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रियों के वैक्रियशरीर होता है ? [उ.] गौतम ! संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिक-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रियों के वैक्रियशरीर होता है, किन्तु असंख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिक-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रियों के वैक्रियशरीर नहीं होता है । [४] जदि संखेजवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्वंतियमणूसपंचेंदियवेउव्वियसरीरे किं पजत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसपंचेंदियवेउव्वियसरीरे अपजत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसपंचेंदियवेउब्वियसरीरे ? गोयमा ! पजत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसपंचेंदियवेउव्वियसरीरे, णो अपजत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसपंचेंदियवेउब्वियसरीरे । [१५१९-४ प्र.](भगवन् !) यदि संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिक-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रियों के वैक्रियशरीर होता है तो क्या पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिक-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रियों के वैक्रियशरीर होता है, (अथवा) अपर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिक-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रियों के वैक्रियशरीर होता है ? [उ.] गौतम ! पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिक-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रियों के वैक्रियशरीर होता है (किन्तु) अपर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्क- कर्मभूमिक- गर्भज- मनुष्य- पंचेन्द्रियों के वैक्रियशरीर नहीं होता है । १५२०. [१] जदि देवपंचेंदियवेउव्वियसरीरे किं भवणवासिदेवपंचेंदियवेउब्वियसरीरे जाव वेमाणियदेवपंचेंदियवेउव्वियसरीरे ? गौयमा ! भवणवासिदेवपंदियवेउव्वियसरीरे विजाव वेमाणियदेवपंचेंदियवेउब्वियसरीरे वि।

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