Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[प्रज्ञापनासूत्र हैं, उनसे कपोतलेश्यी देव असंख्यातगुणे हैं, उनसे नीललेश्या वाले देव विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्या वाले देव विशेषाधिक हैं और उनसे भी तेजोलेश्या वाले देव संख्यातगुणे हैं ।
[२] एतेसि णं भंते ! देवीणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा ४?
गोयमा! सव्वत्थोवाओ देवीओ काउलेस्साओ, णीललेस्साओ विसेसाहियाओ, कण्हलेस्साओ विसेसाहियाओ, तेउलेस्साओ संखेजगुणाओ ।
[११८२-२ प्र.] भगवन् ! इन कृष्णलेश्या वाली यावत् तेजोलेश्या वाली देवियों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? ___ [११८२-२ उ.] गौतम ! सबसे थोड़ी कपोतलेश्या वाली देवियां हैं, उनसे नीललेश्या वाली (देवियां) विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्या वाली (देवियां) विशेषाधिक हैं और उनसे भी तेजोलेश्या वाली (देवियां) संख्यातगुणी हैं।
[३] एतेसि णं भंते ! देवाणं देवीण य कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा ४?
गोयमा ! सव्वत्थोवा देवा सुक्कलेस्सा, पम्हलेस्सा असंखेजगुणा, काउलेस्सा असंखेजगुणा, नीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया, काउलेस्साओ देवीओ संखेजगुणाओ, णीललेस्साओ विसेसाहियाओ, कण्हलेस्साओ विसेसाहियाओ, तेउलेस्सा देवा संखेजगुणा, तेउलेस्साओ देवीओ संखेजगुणाओ ।
[११८२-३ प्र.] भगवन् ! इन कृष्णलेश्या वाले यावत् शुक्ललेश्या वाले देवों और देवियों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ?
__ [११८२-३ उ.] गौतम ! सबसे थोड़े शुक्ललेश्या वाले देव हैं, उनसे पद्मलेश्या वाले (देव) असंख्यातगुणे हैं, उनसे कापोतलेश्या वाले (देव) असंख्यातगुणे हैं, उनसे नीललेश्या वाले (देव) विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्या वाले (देव) विशेषाधिक हैं, उनसे कापोतलेश्या वाली देवियां संख्यातगुणी हैं, उनसे नीललेश्या वाली (देवियां) विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्या वाली (देवियां) विशेषाधिक हैं, उनसे तेजोलेश्या वाले देव संख्यातगुणे हैं, उनसे भी तेजोलेश्या वाली देवियाँ संख्यातगुणी है ।
११८३.[१] एतेसिणं भंते ! भवणवासीणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा ४?
गोयमा ! सव्वत्थोवा भवणवासी देवा तेउलेस्सा, काउलेस्सा असंखेजगगुणा, णीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया ।
[११८३-१ प्र.] भगवन् ! इन कृष्णलेश्या वाले, यावत् तेजोलेश्या वाले भवनवासी देवों में से कौन,