Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[प्रज्ञापनासूत्र इसी प्रकार नारकों, तिर्यञ्चों, मनुष्यों और देवों के विषय में, जिनमें जितनी लेश्याओं की प्ररूपणा की गई, उनमें उनका विचार करके अनुक्रम से अल्पर्द्धिकता और महर्द्धिकता समझ लेनी चाहिए ।
__अप्कायिकों से चतुरिन्द्रिय जीवों तक - इनमें जो कृष्णलेश्या वाले हैं, वे सबसे कम ऋद्धि वाले हैं और तेजोलेश्या वाले सबसे महाऋद्धि वाले हैं। इसी प्रकार सर्वत्र कह लेना चाहिए ।
॥सत्तरहवां लेश्यापद : द्वितीय उद्देशक समाप्त ॥
१. प्रज्ञापनासूत्र मलय. वृत्ति, पत्रांक २५२