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________________ १३२ ] [ प्रज्ञापनासूत्र परिणाम के दो प्रकार : क्यों और कैसे ? - परिणाम वैसे तो अनेक प्रकार के होते हैं, किन्तु - मुख्यतया दो द्रव्यों का आधार लेकर परिणाम होते हैं, इसलिए शास्त्रकार ने परिणाम के दो मुख्य प्रकार बताए हैं - जीवपरिणाम और अजीवपरिणाम। जीव के परिणाम को जीवपरिणाम और अजीव के परिणाम को अजीवपरिणाम कहते हैं। दशविध जीवपरिणाम और उसके भेद-प्रभेद ९२६. जीवपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दसविहे पण्णत्ते । तं जहा- गतिपरिणामे १ इंदियपरिणामे २ कसायपरिणामे ३ लेसापरिणामे ४ जोगपरिणामे ५ उवओगपरिणामे ६ णाणपरिणामे ७ दंसणपरिणामे ८ चरितपरिणामे ९ वेदपरिणामे १०। [९२६ प्र.] भगवन् ! जीवपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [९२६ उ.] गौतम ! (जीवपरिणाम) दस प्रकार का कहा है। वह इस प्रकार - (१) गतिपरिणाम, (२) इन्द्रियपरिणाम, (३) कषायपरिणाम, (४) लेश्यापरिणाम, (५) योगपरिणाम, (६) उपयोगपरिणाम, (७) ज्ञानपरिणाम, (८) दर्शनपरिणाम, (९) चारित्रपरिणाम और (१०) वेदपरिणाम। ९२७. गतिपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते? गोयमा ! चउविहे पण्णत्ते । तं जहा - णिरयगतिपरिणामे १ तिरियगतिपरिणामे २ मणुयगतिपरिणामे ३ देवगतिपरिणामे ४ । [९२७ प्र.] भगवन् ! गतिपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [९२७ उ.] गौतम ! (गतिपरिणाम) चार प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार - (१) निरयगतिपरिणाम (२) तिर्यग्गतिपरिणाम (३) मनुष्यगतिपरिणाम और (४) देवगतिपरिणाम। ९२८. इंदियपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते ! तं जहा - सोइंदियपरिणामे १ चक्खिदियपरिणामे २ घाणिंदियपरिणामे ३ जिभिदियपरिणामे ४ फासिंदियपरिणामे ५ । [९२८ प्र.] भगवन् ! इन्द्रियपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [९२८ उ.] गौतम! पांच प्रकार का कहा गया है- (१) श्रोत्रेन्द्रियपरिणाम, (२) चक्षुरिन्द्रियपरिणाम, ३) घ्राणेन्द्रियपरिणाम, (४) जिह्वेन्द्रियपरिणाम और (५) स्पर्शेन्द्रियपरिणाम । ९२९. कसायपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
SR No.003457
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages545
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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