Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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सोलहवाँ प्रयोगपद]
[ २४१
पंचेन्दियतिर्यञ्चों का प्रयोग विषयक कथन नारकों के समान जानना चाहिए, किन्तु उनमें विशेषता यह है कि वे नारकों की तरह वैक्रियशरीरकाय - प्रयोगी तथा वैक्रियमिश्रशरीरकाय - प्रयोगी के उपरान्त औदारिकशरीरकाय-प्रयोगी और औदारिकमि श्रशरीरकाय-प्रयोगी भी होते हैं । इसके सिवाय ४ प्रकार के मनःप्रयोग और चार प्रकार के वचनप्रयोग, इन ८ पदों को पूर्वोक्त ४ पदों में मिलाने से कुल १२ पद हुए, जो पंचेन्द्रियतिर्यंचों में सदैव बहुत रूप में पाए जाते हैं। कार्मणशरीरकाय प्रयोगी कभी-कभी पंचेन्द्रियतिर्यञ्चों में एक भी नहीं पाया जाता, क्योंकि उनके उपपात का विरहकाल अन्तर्मुहूर्तप्रमाण कहा गया है । यों जब कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी एक भी नहीं होता, तब पूर्वोक्त प्रथम भंग होता हैं।
जब कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी एक होता है, तब दूसरा भंग होता है और जब कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी बहुत होते हैं, तब तीसरा भंग होता है ।"
मनुष्यों में विभाग से प्रयोग-प्र
-प्ररूपणा
१०८३. मणूसा णं भंते ! किं सच्चमणप्पओगी जाव किं कम्मासरीरकायप्पओगी ?
गोमा ! मणूसा सव्वे वि ताव होज्जा सच्चमणप्पओगी वि जाव ओरालियसरीरकायप्पओगी विवेउव्वियसरीर कायप्पओगी वि वेउव्वियमीससरीरकायप्पओगी वि, अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य १ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य २ अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगी य ३ अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य ४ अहवेगे य आहारगमीसरीरकायप्पओगी य ५ अहवेगे य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य ६ अहवेगे य कम्मगसरीरकायप्पओगी य ७ अहवेगे य कम्मगसरीरकायप्पओगिणो य ८, एते अट्ठ भंगा पत्तेयं ।
अहवेगे य ओरालियमीससरीरकायप्पओगी य आहारगसरीरकायप्पओगी य १ अहवेगे य ओरालियमीससरीर कायप्पओगी य आहार गसरीर कायप्पओ गिणो य २ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगसरीरकायप्पओगी य ३ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य ४ एवं एते चत्तारि भंगा, अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य अहारगमीसासरीरकायप्पओगी य १ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य आहारगमींसासरीरकायप्पओगिणो य २ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य ३ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य ४ चत्तारि भंगा, अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य कम्मासरीरकायप्पओगी य १ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य २ अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगी य ३ अहवेगे य
१. प्रज्ञापनासूत्र मलय. वृत्ति, पत्रांक ३२४-३२५