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अनुभव का गर्भस्थ बालक में संक्रमण होने से उस बालक को भी उसकी स्मरणापत्ति होगी ॥२०॥ नोपादानादुपादेयवासना-स्थैर्यदर्शने । करादेरतथात्वेनायोग्यत्वाप्तेरणुस्थितौ ॥२१॥
भावार्थ : हाथ आदि अतथारूप (यानी उपादानकारण नहीं) होने से परमाणु की स्थिति में अयोग्यता की प्राप्ति होने से उपादानकारण से उपादेय वासना और स्थिरता का दर्शन नहीं होता ।।२१॥ मद्यांगेभ्यो मदव्यक्तिरपि नो मेलकं विना । ज्ञानव्यक्तिस्तथा भाव्याऽन्यथा सा सर्वदा भवेत् ॥२२॥
भावार्थ : मद्य के अंगों से मदशक्ति पैदा होती है, परन्तु इनका मिश्रण या मिश्रणकर्ता के बिना नहीं हो सकती, वैसे ही ज्ञान की अभिव्यक्ति में भी जान लेना चाहिए, अन्यथा वह ज्ञान सदा ही होता रहना चाहिए ॥२२॥ राजरंकादिवैचित्र्यमप्यात्मकृतकर्मजम् । सुखदुःखादि-संवित्तिविशेषो नान्यथा भवेत् ॥२३॥
भावार्थ : राजा, रंक आदि की विभिन्नता भी आत्मा के द्वारा कृत कर्मजनित है, नहीं तो सुखदुःखादि का विशिष्ट ज्ञान नहीं हो सकता ॥२३॥ आगमाद् गम्यते चात्मा दृष्टेष्टाऽर्थाऽविरोधिनः । तद्वक्ता सर्वविच्चैनं दृष्टवान् वीतकश्मलः ॥२४॥ १४०
अध्यात्मसार