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साथ ही होती है, तत्त्ववेत्ताओं के साथ नहीं । जिन्होंने अपने चित्त में कदाग्रह को विश्राम दे रखा है, अथवा कदाग्रह ने जिनके यहाँ विश्राम ले रखा है अथवा कदाग्रह के कारण जो विश्रान्त हो (थक) गये हैं या व्याकुल हो रहे हैं, उन अधमाधम पुरुषों की स्थिति ऐसी ही होती है ॥२१॥ इदं विदंस्तत्वमुदारबुद्धिरसद्ग्रहं यस्तृणवज्जहाति । जहाति नैनं कुलजेव योषिद् गुणानुरक्ता दयितं यशः श्रीः ॥२२॥
भावार्थ : इस प्रकार जो उदारबुद्धि कदाग्रह के तत्त्व को जानकर इस मिथ्याग्रह को तिनके की तरह छोड़ देता है, उस लोकवल्लभ पुरुष को उसके गुणों में अनुरक्त यशोलक्ष्मी उसी प्रकार नहीं छोड़ती, जैसे कुलवती गुणानुरक्त स्त्री अपने पति को नहीं छोड़ती । श्लोकगत 'यशः' शब्द ग्रन्थकार के 'यशोविजय' नाम को सूचित करता है ||२२||
॥ इति असद्ग्रहत्यागाधिकारः ॥
अधिकार चौदहवां
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