Book Title: Adhyatma Sara
Author(s): Yashovijay
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar

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Page 287
________________ जमाकर उन नयों की दिङ्मूढता को नष्ट कर देता है, उसी विजयी पुरुष का कुन्दपुष्प और चन्द्रमा के समान उज्ज्वल यश बढ़ता है ॥१५॥ ॥ इति जिनमत-स्तुत्यधिकारः ॥ अधिकार उन्नीसवाँ २८७

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