Book Title: Acharang Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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आचारांग सूत्र (प्रथम श्रुतस्कन्ध) 那麼來來來來來來來來來來來來來來串串串串參參參參參參參串串串串串串串串串串串串
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में त्रसकायिक जीवों का कथन है। त्रस का अर्थ है - "त्रस्यन्तीति त्रसः-त्रसनात्-स्पन्दनात् त्रसाः जीवनात्-प्राणाधारणात् जीवाः नसा एव जीवाः त्रस जीवाः।"
अर्थात् - त्रस नाम कर्म के उदय से जो प्राणी त्रास पाकर उससे बचने के लिये चेष्टा करते हों, एक स्थान से दूसरे स्थान को आ जा सकते हों, उन्हें त्रस जीव कहते हैं। द्वीन्द्रिय से पंचेन्द्रिय तक के प्राणी ‘त्रस' होते हैं। उत्पत्ति स्थान की दृष्टि से अंडज आदि आठ प्रकार के त्रस कहे गये हैं। ये संसार में सदा विद्यमान रहते हैं। संसार इनसे कभी भी खाली नहीं होता क्योंकि इन प्राणियों का ही नाम संसार है।
- १. मंदता - विवेक बुद्धि की अल्पता तथा २. अज्ञान - ये दो मुख्य कारण संसार परिभ्रमण के हैं। जो प्राणी हित और अहित का विचार करने में बालक के समान असमर्थ है वह ‘मंद' कहलाता है और जो कुशास्त्र के श्रवण और कुसंग के कारण विपरीत बुद्धि वाला है वह 'अज्ञानी' है। ये मंद और अज्ञानी पुरुष ही बार बार संसार में उत्पन्न होते रहते हैं।
(४७) णिज्झाइत्ता पडिलेहित्ता पत्तेयं परिणिव्वाणं, सव्वेसिं पाणाणं सव्वेसिं भूयाणं, सव्वेसिं जीवाणं, सव्वेसिं सत्ताणं, असायं अपरिणिव्वाणं, महब्भयं दुक्खं त्ति बेमि। ___ कठिन शब्दार्थ - णिज्झाइत्ता - चिंतन करके, पडिलेहित्ता - देखकर, पत्तेयं - प्रत्येक, परिणिव्वाणं - परिनिर्वाण-सुख, अभय, सव्वेसिं - सर्व, पाणाणं - प्राणियों को, भूयाणं - भूतों को, जीवाणं - जीवों को, सत्ताणं - सत्त्वों को, अस्सायं - असाता, अपरिणिव्वाणं - अपरिनिर्वाण-दुःख, महन्भयं - महान् भय। ____ भावार्थ - चिंतन कर और सम्यक् प्रकार से देखकर मैं कहता हूँ कि प्रत्येक प्राणी परिनिर्वाण - सुख चाहता है। सब प्राणियों, सब भूतों, सब जीवों और सब सत्त्वों को असाता और अपरिनिर्वाण-दुःख, ये महाभयंकर और दुःखदायी हैं। ऐसा मैं कहता हूँ। विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में प्रयुक्त प्राण, भूत, जीव और सत्त्व का अर्थ इस प्रकार हैं - १. प्राण - विकलेन्द्रिय अर्थात् द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चउरिन्द्रिय जीवों को प्राण कहते हैं। २. भूत - वनस्पतिकाय को 'भूत' कहते हैं। ३. जीव - पंचेन्द्रिय प्राणियों को 'जीव' कहते हैं।
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