Book Title: Acharang Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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लोगविजओ णामं बीयं अज्झायणं लोक विनय नामक दूसरा अध्ययन
- उत्थानिका - शस्त्र परिज्ञा नामक प्रथम अध्ययन में पृथ्वीकाय आदि छहकाय जीवों का . तथा उनके शस्त्रों का वर्णन किया गया है। षड्जीवनिकाय के स्वरूप को सम्यक् रूप से जानने
वाला मुनि ही राग आदि कषायों पर और शब्दादि विषयों पर विजय प्राप्त कर सकता है। इसलिये ‘लोकविजय' नामक इस दूसरे अध्ययन में उनको जीतने के उपायों का वर्णन किया जाता है। यहाँ 'लोक' शब्द से रागादि कषाय और शब्दादि विषय लिये गये हैं। इस अध्ययन में उनको जीतने के उपायों का वर्णन होने से इसका नाम भी ‘लोकविजय' अध्ययन है। इस अध्ययन में छह उद्देशक हैं।
'सूत्र और अर्थ को जानने वाले मुमुक्षु पुरुष को माता पिता आदि स्वजन वर्ग में मोह नहीं करना चाहिये' इस बात का वर्णन प्रथम उद्देशक में किया गया है। इसका प्रथम सूत्र इस प्रकार है
बीयं अज्झायणं पठमोसो दूसरे अध्ययन का प्रथम उद्देशक
.संसार का मूल . विषयासक्ति
. जे गुणे से मूलट्ठाणे, जे मूलट्ठाणे से गुणे। __ इइ से गुणट्ठी महया परियावेणं पुणो पुणो वसे पमत्ते, तंजहा-माया मे, पिया मे, भाया मे, भइणी मे, भजा मे, पुत्ता मे, धूया मे, सुण्हा मे, सहिसयण-संगंथ-संथुया मे, विवित्तोवगरण-परिवट्टण-भोयणच्छायणं मे, इच्चत्थं गढिए लोए वसे पमत्ते। ।
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