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SDOSDISCI525125 विवाहमापन mpscmmeOTOS
शुद्धेना मतमंत्रेण वेष्टयं तत् शुद्धि यंत्रक न्यस्यं शुद्धजले स्नायात् तेनो मत पदं स्मरेत
॥४६॥ इन उपरोक्त शुद्धि मंत्रों को इस नीचे लिखे हुवे वेष्टन मंत्र से वेष्टित करके उसको शुद्ध जल में न्यास करें और अमृत मंत्र का ध्यान करता हुआ स्नान करे अर्थात अपनी हथेली में पानी से यंत्र लिखकर साल के जलने अपनी हथेली को जिस पर यंत्र लिखा है धो लेवें। और स्नान के जव को अमृत से अभिमंत्रित करे।झंट को १६ स्वरों से अभिवेष्टन करे। जिसके बाहर दो जल मंडल लिखे। च वर्ग का चोथा अक्षर झ को अनुस्वार सहित लिख कर अर्थात झं लिखकर ठकार से वेष्टित कर चौथी कलाई से वेष्टित करके दो जल मंडल से घिरे अथवा ई के बाहर चार वर्ग और ठकार के चारों तरफ सोलह स्वर लगाकर दो यंत्र बनावे और उसको जल मंडल में न्यास करे। फिर अमृत मंत्र से अभिमंत्रित करके रनान करें।
उकारः प्रथम स्तत्र अमृते अमताद्भवे अमृत वर्षिणी अमृतं श्रावय श्रावोस्यतःसंसं क्लीं क्लीं क्लीं तथा ब्लू ब्लूंद्रां द्रां द्रीं द्रीं द्रावट दावा स्वाहेति स्नान मंत्रोटय विद्वदि प्रकीर्तितः॥ ॐ अमृते अमृतोद्भवे वृर्षिणी अमृतं श्रावट श्रावट सं सं क्लीं क्लीं ब्लू ब्लू ट्रां द्रां
द्रीं द्रीं द्रावटा द्रावय स्वाहा। इसको विद्वानों ने अमृत मंत्र कहा है।
उपक्षि हंसःक्वीं हूं: पः क्षः हर हंसः प प क्षीं स्वाहा
उ क्ष: सरसंसः हर हुं हः स्वाहा ।। इति वेष्टन मंत्र यह वेष्टन मंत्र है।
ॐ नमो भगवते विश्यजन हिताय त्रैल्योक्य शिवराय विशुद्ध चतुरगुण शुद्धाय शुद्धिं करायरं एल्यूँ स्वाहा ।
शुद्धि मंत्रः
उ अमृते अमृतोटवे अमृतवर्षिणी अमृतं श्रावय श्रावय संसं क्लीं क्लीं ब्लू ब्लू द्रां द्रां द्रीं द्रीं द्रावय द्राव्या स्वाहा ॥
SENSE PERSONGS