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टीका - इस गाथा में भी पूर्वोक्त विषय का ही वर्णन है, जैसे कि कोई वृषभ अपने आपको निःसहाय मानता हुआ पृथ्वी पर सिर पटक कर लेट जाता है, कोई क्रोध के वशीभूत होकर पीछे को भागने लगता है तथा कोई छल - पूर्वक अपने शरीर को मृतक के लक्षणों से लक्षित करता है और अवसर पाकर-: - अर्थात् स्वामी के कहीं अन्यत्र जाने पर भाग जाता है, जिससे कि कोई रोक न सके।
किसी-किसी प्रति में 'पलयंतेण चिट्ठई' ऐसा पाठ भी है, उस पाठ का अर्थ होगा- 'प्रवलनः प्रकर्षेण कम्पमानस्तिष्ठति' अर्थात् कांपने लग जाता है ।
अब फिर कहते हैं
छिन्नाले छिदई सेल्लि, दुद्दन्तो भंजए जुगं । सेविय सुस्सुयाइत्ता, उज्जहित्ता पलाय ॥ ७ ॥ छिन्नालः छिनत्ति सिल्लि, दुर्दान्तो भनक्ति युगम् । सोऽपि च सूत्कृत्य, उद्धाय पलायते ॥ ७ ॥
पदार्थान्वयः-छिन्नाले-दुष्ट जाति वाला वृषभ, सेल्लि - रश्मि को, छिन्दइ- छेदन कर देता है, दुद्दन्तो- दुर्दान्त, जुगं- जुए को, भंजए - तोड़ देता है, सेवि य- वह भी, सुस्सुयाइत्ता-सूत्कार करके-सूं-सूं करके, उज्जहित्ता - स्वामी के शकट को ले करके, पलायए - भाग जाता है।
मूलार्थ-छिनाल अर्थात् दुष्ट बैल रश्मि अर्थात् वाग का छेदन करता है, दुर्दान्त बैल जुग अर्थात् जुए को भी तोड़ देता है और फिर सूत्कार करके - सूं सूं करके स्वामी और शकट फैंक कर उत्पथ में भाग जाता है।
टीका-इस गाथा में भी पूर्वोक्त विषय का ही वर्णन है। यथा दुष्ट वृषभ, नासिका-रज्जु (नथ) वा संयमन-रज्जु को तोड़ देता है, कोई दुर्दान्त बैल रज्जु को तोड़कर जुए को भी तोड़ देता है तथा कोई एक जुए आदि को तोड़ कर भी सूं सूं करता हुआ शकटादि को लेकर भाग जाता है। अब उक्त दृष्टान्त को दाष्टन्ति में घटा कर दिखाते हैं, यथा खलुंका जारिसा जोज्जा, दुस्सीसा वि हु तारिसा । जोइया धम्मजाणम्मि, भज्जन्ती धिइदुब्बला ॥ ८ ॥
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खलुंका यादृशा योज्याः, दुःशिष्या अपि खलु तादृशाः । योजिता धर्मयाने, भज्यन्ते धृतिदुर्बलाः ॥ ८ ॥
पदार्थान्वयः-खलुंका- दुष्ट वृषभादि, जारिसा - जैसे, जोज्जा - जोते हुए, दुस्सीसा - दुष्ट शिष्य, वि-भी, तारिसा -उनके समान, धम्मजाणम्मि- धर्म - यान में, जोइया - जोते हुए, धिइ-दुब्बला - धृति से दुर्बल, भज्जन्ती - सम्यक् प्रकार से प्रवृत्ति नहीं कर पाते, हु- अवधारण अर्थ में है।
मूलार्थ - दुष्ट पशु के समान धर्म- यान में जोते हुए कुशिष्य भी दुर्बल धृति वाले होने से
उत्तराध्ययन सूत्रम् - तृतीय भाग [ ६४ ] खलुंकिज्जं सत्तवीसइमं अज्झयणं