Book Title: Terapanth Maryada Aur Vyavastha
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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लिखित सं० १८५२ री जोड़ (ढा०-२)
ढाळ : ९
स्वाम' सोहंदा महासुख कंदा, चित निर्मल पूनम चंदा।
सतियां री मर्यादा बांधी, अधिक गुणे कर ओपंदा॥ धुपदं॥ १ किण ही साधु आर्य्या मांहि, देख्यां दोष तुरत त्यां ही।
धणी भणी कहणो के गुर नै, अवरां नै कहिणो नांही॥ २ किण ही स परिणाम टोळा तूं, जुदा द्वैण रा हुवै सागो।
जब पिण तिण नै ओरां केरी, परती कहण तणां त्यागो।। आपस मांहि अथवा टोळा रा, संत-सत्यां नै सलहिजो। साधपणों चोखो शुध जाणों, तिका टोळा मांहि रहिजो॥ ठागा सूं तिण नै टोळां मांहि, नहीं रहिवो छै जाणों। अनंत सिद्धां री साख करी नै, छै तिण रे ए पचखाणों ।। पाना टोळा मांहि लिखै ते, साधु-साधवी मन साचै। गणपति आणा सूं तसु देवै, अथवा ग्रहस्थ कनै जाचै।। गण सूं टळ नै जुदी हुवै ते, साथ ले जावण रा त्यागो। पाना सूप देणां संता नै, ले जावण रो नाही मागो।। गण में पात्रा लोट करै, जाचै ते नहीं ले जावण'रा | टोळा री नेश्राय अछै ते, गण में छै त्यां लग उणरा॥ वस्त्र ऊजळो नवो अछै ते, कपड़ो वावरीयोज न छै। ते पिण साथ ले जावणो नाही, टोळा री नेश्राय अछै॥ पानां परत जाचणां ते पिण, बड़ा तणी ने श्राय जाचै ।
आप णीं नेश्राय तिके पिण, नाहि जाचणां मन साचै।। १० कर्म-जोग टोळा बारै, नीकळ जो अपछंदी थाई।
अथवा गण बारै कालै (तो), उपगरण साथ लेणां नाहि।। ११ गण मांहि उपगरण किया ते, टोळा री नेश्रा केगा।
बारै लै जावण तणां त्याग छै, बड़ा भणीं तूंपे देणा। १२ आगै कागद मांहि आर्यों रे, जे मर्यादा बांधी।
सगळाई ते त्याग पाळणां, समचित स्यूं आत्म सांधी।
१.लय-चेत चतुर नर कहै तनै सतगुर किस विध
लिखतां री जोड़ : ढा० ९ : २७