Book Title: Terapanth Maryada Aur Vyavastha
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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२० दूध-दही सूं दुगुणो तेहिज देखो, अध सेर दूध-दही रो दिन एको। २१ पैला आगै उपगरण उपड़ावै, तसु घृत इक दिन टळावै ।। २२ आथण रो उन्हों आणै, आंख्यां में काजल माणै। २३ पीपलामूळ टांकरो' जाणी, चक्षु में औषध रो पिछाणी।। २४ तीन वार दिसां जावै, दूजै दिन इक टक लूखो खावै।। २५ राते दिसां जाय तिण रै, बे दिन लूखो जिणरे ।। २६ गूतो पीवै धर रागो, तिण रै दिन पनरै विगै रा त्यागो।। २७ जिण रो कारण जाणै उघारो, अथवा उण नै धेठी न जाणै लिगारो।। २८ तथा सरल जाणै तिण नै सारी, अथवा गुर कहै तिण री बात न्यारी।। २९ लिखतूं आर्या . मेणां, लिखतू अजा धनु केणा।। ३० लिखतू सदा सुखदाई, लिखतू बना कहिवाई ।। ३१ लिखतू अजा बरजु जाची, लिखतू बीजा बना साची॥ ३२ लिखा बावना री चौथी ढाळं, जोड़ी गणपति जय सुविसालं ।। ३३ ए चौथी ढाळ माहि मर्यादं, तिण रो बिरला परमार्थ लाधं ॥ ३४ कारण बिना कारण रो ले नाम, तिण ऊपर मर्यादा छे ताम। ३५ कारण विण कारण रो नाम, रात्रि दिसा जावै ताम।। ३६ तिण नै बे दिवस लूखो दाख्यो, पिण सर्व अज्जा रो न भाख्यो ।। ३७ इमहीज दिन में दिसा तीन वार, दूजै दिन एक टंक लूखो धार।। ३८ ए पनरइ बोल धेठी रा, पिण म जाणो सहु-समणी रा॥ ३९ उगणीसै चवदै वैशाखै, सातम विद अभिलाखै॥ ४० भिक्खू भारीमाल ऋषरायो, जय जोड़ी है तास पसायो॥ ४१ शहर सुजानगढ़ रंगरेला, हुआ संत-सत्यां रा मेला ।। ४२ पणवीस संत सकज्जा, सखर पचासी अज्जा ।।
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१. वृक्ष वाला पीपलामूळ। २. थोड़े काल की ब्याई हुई गाय-भैंस का दूध । ३२ तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था