Book Title: Terapanth Maryada Aur Vyavastha
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text
________________
मेल्यां ना न कहणो। साथे जांणो। न जाय तो पांचू विगै खावा रा त्याग न जाए जितरा दिन। बले ओर प्राछित जठा बारे। साधां रा मेलीया विना आ· ओर री ओर आर्यां साथे जाए तो जितरा दिन रहे जितरा दिन पांचू विगै रा त्याग। बले ओर भारी प्राछित जठा बारे। जिण आ· साथे मेल्यां तिण आर्यां भेळी रहे, अथवा आर्यां माहोमांहि सेषे काळ भेळी रहे, अथवा चोमासे भेळी रहे त्यां रा दोष हुवे तो साधां सुं भेळा हुआ कहि देणो न कहे तो उतरो ही प्रायछित उणने छै। टोळा सूं छूट न्यारी हुआ री बात माने त्यां ने मूर्ख कहीजे। त्यां ने चोर कहिजे, ए, सर्व संवत् १८३४ रा लिखत में कह्यो।
तथा पेंताळीसा रा लिखत में जिलो बांधे तिण ने महाभारीकर्मो विसवासघाती कह्यो। तथा संवत् १८५० रा लिखत में तथा रास में जिले में घणो निषेध्यो छै, ते माटे जिलो बाधण रा जावजीव त्याग छै।
तथा गुणसठा रा लिखत में कह्यो-कर्म धको दियां टोळा बारे नीकळे तो टोळा रा साध-साधव्यां रा अंसमात्र हुंता अणहुंता अवर्णवाद बोलण रा अनंता सिद्धां री ने पांचोइ पंदां री आण छै, पांचूइ पदां री साख सूं पचखाण छै। सरधा रा क्षेत्रा में एक राति उपरंत रहिणो नहीं। टोळा में पाना लिखे जाचे ते साथे ले जावणा नही। तथा 'साध सीखावणी' ढाळ रा दूहा में घणा दिनां पछे दोष कहे तिण ने अपछंदो निर्लज नागड़ो मर्यादा रो लोपणहार कह्यो। तिण री बात मूळ मानणी नहीं। तथा रास में पिण घणा दिनां पछे दोष कहे तिण ने निषेध्यो छै।
तथा गुणसठा रा लिखत में कह्यो-सेषाकाळ चोमासो आज्ञा बिना रहे जितरा दिन सूंखड़ी सहित पांचू विगै रा त्याग छै। इत्यादिक लिखत में तथा रास में तथा विनीत अवनीत री चोपी में अवनीत ने घणों निषेध्यो छै।
अजुणाकाल में भारीकर्मा जीव घणा छै। ज्यां री आत्मा वस नहीं। गुर छांदे रहिणो कठण जद ए मर्याद लोपने टोळा बारे नीकळी ने अवगुणवाद बोले, त्यां ने श्रावक न माने जद पाछा गण में आवे त्यां रो लेखो भीखणजी स्वामी रास में ओळषायो ते गाथा१ 'आप मांहे छै दोष अनेक, ते तो बारे न काढ़े एक।
उळटो ओरां में दोष बतावे, झूठ में झूठ जांण चलावे।। २ अवगुण सुण-सुण ने समदृष्टि, यां ने जाणे धर्म सूं भिष्टी।
यां रा बोल्यां री प्रतीत नाणे, झूठ में झूठ बोलता जाणे।। ३ श्रावक आरे करता दीसे नाहि,जद प्राछित ओट आया गण मांहि।
आलोवण करणी थापी ताय, प्राछित पूरो लेणो ठहराय।। १. लय-म्हारी सासू रो नाम छै फूली। २४२ तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था