________________
कह्यां थी कारण पड़यां री बात न्यारी छ।
१८. सरस आहारादिक मिले, तिहां पिण आज्ञा बिना रहिणो नही। बलै काइ करली मरजादा बांधा, तिण मैं ना कहिणो नही।
१९. आचार री संका पड्यां थी बांधा बलै कोइ याद आवै ते लिखां, ते पिण सर्व कबूल छै।
___ए मरजादा लोपण रा अनंता सिद्धां री साख कर नै पचखांण छै। जिण रा परिणाम चोखा हुवै, सूंस पाळण रा परिणाम हुवै ते आरै होयजो। सरमासरमी रो काम छै नहीं।
संवत् १८५० रा माह विद १० लिखतु ऋष भीखन रो छै।
४४६ तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था