Book Title: Terapanth Maryada Aur Vyavastha
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 475
________________ २६. कोइ साध-साधवियां रा आंगुण काढे तो सांभळण रा त्याग छै। इतरो कहिणो-'स्वामी जी नै कहिज्यो'। जिण रा परिणाम टोळा माहै रहिण रा हुवै ते रहिजो। पिण टोळा बारै हुवां पछै साध-साधवियां रा आंगुण बोलण रा अनंत सिद्धां री साख कर नै त्याग छै। कोइ टोळा बारै नीकळी री बात उण लखणो होसी ते माने, भेषधारी भागल जिन धर्म रा द्वेषी होसी ते मानसी, पिण उत्तम जीव तो न मानें। २७. बलै कोइ याद आवै ते पिण लिखणो, बलै करली-करली मर्यादा बांधै त्यां में पिण अनंता सिद्धां री साख कर नै नां कहिण रा त्याग छै। चेतावनी ए मर्यादा पालण रा परिणाम हुवै ते आरै होयजो कोइ सरमासरमी रो काम छै नहीं। किण ही आर्यां आज पछै अजोगाइ कीधी तो प्रायछित तो देणो, पिण उण नै च्यार तीर्थ माहै हेलणी निंदणी परसी, पछै कहोला मनै भांडै छै, म्हारो फितूरो करै छै, तिण सूं पहिलाज सावधान रहिजो। सावधान नहीं रही तो लोका में झंडी दीसोला, पछै कहोला म्हांनै कह्यो नहीं। लिखतू ऋष भीखन सं० १८५२ फागुण सुध १४ किण ही आर्यां नै मांहो मां संका परै जाणै कारण पड्यां बिना कारण रो नाम लेनै और आर्यां आगा सूं काम करावै छै, कारण रो नाम लेनै ओषध सूंठादिक उन्हो आहारादिक ल्यावै छै, इत्यादिक संका परै ते संका मेटण रो उपाय मर्यादा बांधी छै १. जितरे गोचरी आप न उठै तिण सूं विवणो ऊठणो। २. विहार मैं बोझ उपड़ावै, जितरा दिन विगै रा त्याग छै। बलै उण रो बोझ पाछो विवणो उपारणो, आछो आहार लेवै तो पाछो विवणो टाळ देणो। ३. किण रो इ वैहर नै मांग नै आणै तो पिण विवणो टाळ देणो तेहनी विगत लिखिये छै (१) पांच लूंग खायै तो एक दिन विगै टाळणो। टका भर आप री पांती आवै जद इम बीजा बोल लिखै छै-त्यां रो पिण (२) अधेला भर सूंठ रो (३) अधेला भर अजमा रो (४) खांड सूं विवणो घी (५) निवात' सूं चौगुणो घी (६) गूळ सूं विवणो गुळ के बरोबर घी (७) दूध दही सू विवणो दूध दही के अध सेर दूध दही रो एक दिन घी। १. दुगुना। २. मिश्री। परिशिष्ट : लिखता री जोड़: ४४९

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