Book Title: Terapanth Maryada Aur Vyavastha
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 496
________________ १५० बूंदी में मैणाजी नै परमाद आश्री चरचा पूछी जाब नाया। १५१ रावलियां में च्यार गावां रो आधाकर्मी ल्यावता। १५२ म्हने घणी चास पावता जको म्हारी आंख्या रो तेज हीण पस्यो। १५३ टोळा रा आर्यां री परतीत कोई नहीं यूं कह्यो। १५४ खेतसीजी रे आहार थोरो तेवरावै म्हने खबर नहीं, जिण सूं म्हे घणो तेवरां, कपटाइ कर-कर दूध घणौ पावै, चोखो आहार वधै ते मनैभावै नहीं, तरै खेतसीजी ने देता। पछै म्हे पिण यांरो कपट जाण ने बरोबर तेवरता। ४७० तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था

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