Book Title: Terapanth Maryada Aur Vyavastha
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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८७ सुतर अडड बडड छै। ८८ मेह बरसतो रह्यां तुरत उठे। ८९ फुहरा(पर?) ९० गुठली आंबा री आंबली री परछै। ९१ पड़िकमणो आछी तरै करै नहीं। ९२ आमना जणावै समाचार री। ९३ अंजणा प्रमुख निषेधता ते कहै। ९४ रामचरित निषेधता ते जोवै छै। ९५ किण हीने प्राछित थोड़ो दै किण ने घणो। ९६ घणा साध साधवी भेळा रहै। ९७ चिणा रा होळा नै सेक्या मकिया रा कण लै। ९८ नाथदुवारा रो आहार मासखमण रह्या पछै खाधौ। ९९ गोधूंदा में ओषद रो लकरी वासी राखी। १०० चालतां बोलै। १०१ आधाकर्मी पांणी वैहरे कंवरजी प्रमुख रे। १०२ पाछली रात रा पग मात्रा सूं छोटै चोपडै। १०३ डावडो पड़ेला आमना जणाइ खेतसीजी। १०४ गृहस्थ री हाट माहै उपगरण पात्र मेल्या पुर माहै। १०५ हाट में उतरे कुणका उठावै। १०६ लिखत करावणौ नही। १०७ कोठास्या में पाणी रा ठांव मांहे चव्यो तिहां राते रह्या। १०८ पाणी रो ठाम खाली आफणी उरो ले ने मेलणो छैहरायौ। १०९ कपड़ो विना पडिलेह्या न वैहरणो। ११० कपड़ो रात रो ओढ़णो जब पूंजणो। १११ विना जोयां हाथ घालणो नही। ११२ आर्यां रे कपड़ो कह्यो ज्यूं पनो राखणो इत्यादिक घणा कह्या। ११३ खजूर वैहरया। ११४ रंगा चंगा नै डीळां सनूरा रहै। ११५ घी री मरजादा नही। ११६ आहार किती वार री मरजादा नहीं। ११७ आहार ने घी सूं चूरे तो सवाद आवै। ११८ कोरी रोटी न भावे तो तरकारी ल्यावै।
४६८ तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था
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