Book Title: Terapanth Maryada Aur Vyavastha
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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वैसे तो मान लेणो नही वैसे तो केवळियां ने भळावणो, पिण टोळा माहै भेद पारणो नहीं।
७. माहोमां जिलो बांधणो नहीं मिल-मिल नै। आप रो मन टोळा सूं उचक्यो, अथवा साधपणो पळे नहीं, तो किण ही नै साथे ले जावण रा अनंता सिद्धां री साख कर नै पचखांण छै।
८. कोइ दिख्या लेतो देख नै, अथवा जाण नै आप न्यारो हुवै नै, चेलो कर नै, नवो मारग काढ नै, आप रो मत जमावण रा त्याग छै। आ सरधा नै ओ आचार चोखो पाळणो छै। किण ही रा परिणाम न्यारा होण रा हुवै, जद ग्रहस्थ आगै पैला री परती करण रा त्याग छै।
९. जिण रो मन रजाबंध हुवै चोखी तरे साधपणो पळतो जाणो तो टोळा माहै रहिणो। आप में अथवा पैला में साधपणों जाण ने रहिणो। ठागा सूं मांहि रहिवा रा अनंता सिद्धां री साख सूं पचखांण छै।
१०. टोळा माहै रहि ने पाना लिखे, अथवा लिखावै, अथवा कोइ देवै ते लेवे, ते टोळा माहै रहै जठा तांइ तो उण रा छै। टोळा सूं न्यारो हुवै जद पाना टोळा रा साधां रा छै। साथै ले जावण रा त्याग छ।
११. परत पाना जाचै ते पिण बडां री, टोळा री, नेश्राय जाचणा, आप री नेश्राय जाचण रा त्याग छै। जो कोइ अजाण पणै जाचणी आवै, तो पिण परत पाना बड़ा रा छै, टोळा रा छै, या नै पिण साथे ले जावण रा त्याग छै। पातरो लोट जाचै टोळा माहै थकां, ते पिण बडां री नेश्राय जाचणो, बड़ा देवै ते लेणो। ते पिण टोळा माहै छै जठा तांइ। टोळा बारै जाय तो साथे ले जावण रा त्याग छै। कपड़ो नवो हुवै ते पिण टोळा बारै ले जावण रा त्याग छै।
१२. दिख्या देणी ते पिण बड़ा रे नाव देणी, आप आपरै चेलो करवा रा त्याग
छै।
चेतावनी
आगै पानो लिखीयो छ, तिण में साधारै मर्यादा बांधी छै, तिण प्रमाणे सगळा रै त्याग छै। उवा मर्याद पिण उलंघण रा त्याग छै। जो किण ही साध मरजाद उलघंवो कीधो, अथवा आगन्यां माहै नहीं चालीयां, अथवा किण ही नै अथिर परिणामी देख्यो, अथवा टोळा माहै टिकतो न देख्यो, तो ग्रहस्थ नै जणावणरा भाव छै।
साध-साधवियां मैं जणावण रा भाव छै। पाछे कोइ कहोला म्हारी लोकां माहै टोळा माहै आसता उतारी, तिण सूं घणां सावधानपणे सुद्धपणे चालजो। एक-एक नै चूक पड्यां तुरत कहिजो, म्हां तांइ कजियो आणजो मती, उठ रो उठे निवेरजो, पूछयां अथवा अणपूछयां बीती बात कहि देणी, उठइज निवेरणी। कोइ टोळा मां सूं टळ नै साधसाधवियां रा दोष बतावै, अवर्णवाद बोले, तिण री मानणी नही। तिण नै झूठाबोलो
४४४ तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था