Book Title: Terapanth Maryada Aur Vyavastha
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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बोलण रा त्याग छै। बले इण सरधा रा भायां रे कपड़ा रा ठिकांणा छै विनां आज्ञा जाचण रा त्याग छै। आर्यां आगे हुवे जठे जाणों नही। जाय तो एक रात रहिणो। पिण अधिको रहिणो नहीं। कारण पड़यां रहे तो गोचरी का घर बांट लेणां पिण नित रो नित पूछणो नहीं। कने बेसण देणी नही। ऊभी रहिण देणाी नही। चरचा बात करणी नही। बड़ा गुरवादिक रा कह्या थी, कारण पड्या री बात न्यारी छै। सरस आहारादिक मिले तिहां आज्ञा विनां रहणो नहीं। बले काइ करली मरजाद बाधां तिण में ना कहिणो नहीं। आचार री संका पड़यां थी बांधे बले कोइ याद आवे तो लिखां ते पिण सर्व कबूल छै, ए मरजादा लोपण रा अनंता सिद्धां री साख कर ने पचखांण छै, जिण रा परिणाम चोखा हुवे सूंस पालण रा परिणाम हुवे ते आरे होयजो। सरमासरमी रो काम छै नहीं। एहवो पचासा रा लिखत में कह्या।
तथा बावने रे वर्स आर्यां रे मरजादा बांधी तिण में कह्यो-किण ही साध आर्यों मांहे दोष देखे तो ततकाळ धणी ने कहणो के गुरां ने कहणो, पिण ओरां ने कहणो नहीं, किण ही आर्यां दोष जाण ने सेव्यो हुवे तो पांना में लिख्या विनां विगै तरकारी खाणी नहीं कोइ साध-साधव्यां रा ओगुण काढे तो सांभळण रा त्याग छै। इतरो कहणो–'स्वामी जी ने कहीजे।
किण ही आर्यां में मांहोमां संका पड़े जांणे कारण पड्यां विनां कारण रो नाम लेने ओर आर्यां आगे सूं काम करावे छै कारण रो नाम लेइ ओषध सूंठादिक उन्हो आहारादिक ल्यावे छै। इत्यादिक संका पड़े ते संका मेटण रो उपाय मर्यादा बांधी छै। जितरे गोचरी आप न उठे तिण सूं बिमणो उठणो, विहार में बोझ उपरावे जित रा दिन विगै रा त्याग छै बलै उण रो बोज बिमणो उपारणो। आछो आहार लेवे तो पाछो बिमणो टालणो । किण ही ने खेत्र आछो बताया राग द्वेष करने बात चलावा रा त्याग छै। खेत्र आश्री कपड़ा आश्री आहारपाणी आश्री ओषध भेषध आश्री बात चलावा रा त्याग छै। चोमासो कहे तिहां चोमासो करणो सेषा काळ बड़ा कहे तिहां विचरणो। ए सर्व बावना रा लिखत में कह्यो।
· बले गुणसठा रा लिखत में कह्यो-कर्म धको दिया टोळा बारे निकळे तो उण रे टोळा रा साध-साधवियां रा अंस मात्र हुंता अणहुंता अवर्णवाद बोलण रा अनंता सिद्धां री ने पांचू पदां री आण छै पांचोंइ पदां री साख सूं पचखांण छै किण ही साध साधव्यां री संका पड़े ज्यूं बोलण रा पचखांण छै कदा उ विटळ होय सूंस भांगे तो हळुकर्मी न्यायवादी तो न माने। उण सरीषो कोइ विटळ माने तो लेखां में नहीं। किण ही ने कर्म धको देवे ते टोळा सूं न्यारो पड़े अथवा टोळा सूं आप ही न्यारो पड़े तो इण सरधा रा भाई बाई हुवे तिहां रहिणो नहीं। एक बाई भाई हुवे तिहां पिण रहिणो नहीं। वाटे वहितो एक रात कारण पड्यां रहे तो पांचू विगै सूंखड़ी खावा रा त्याग छै। अनंता सिद्धां री
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तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था