Book Title: Terapanth Maryada Aur Vyavastha
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text
________________
निराज।
४४ (२५) एक पोळ में घर दोय च्यार, सगळाइ खोलायो किवाड़।
तिण रस्ते सगळां रे न जाणो, बीजे रस्ते निर्दोष पिछाणो॥ ४५ (२६) साधु अर्थे खोल्यो है किवाड़, किवाड़ बारली वस्तु ले सार।
रस्तो असूजतो सद्दहिये, घर असूझतो नहि कहिये ।। ४६ (२७) धणी रा कयां विना किवाड़, दूजे खोल्यो मुनि अर्थे धार।
तिण रस्ते इक मुहूरत तांई, बहिरावा काजे जाणों नाहि ।। लोक आया गया निज काज, एक मुहूर्त पछे मुनिराय। जावे तिण घर बहिरण तांइ, घर रो धणी खोलावा में नाहि। धर्म द्वेषी दूजा रो किवाड़, खोल्यो कलुष भाव मन धार। जो ए इण घर बहिरण जाय, तो हूं निंदसू लोकां मांय ।। तेहनी पिण पूर्व रीत, लोक आयां गया सुवदीत।
एक मुहुर्त पाछे पिछाण, जाए गोचरी तिण मग जाण ।। (२८) शेषे काळ चोमासे ताम, गोचरी कळ्पे पर गाम।
दोय कोस तांइ मुनिराज, जाए आहार पाणी रे काज। (२९) गुरुआदिक रा दर्शन
सुखे दोय कोस उपरंत, तो तिणहिज दिन पाछो आवंत। (३०) बले गाम तथा पर-गाम गोचरी करता गुण धाम।
सचित्त लगाय ने नहीं जाणो, हिवै तिणरो न्याय पिछाणो॥ उभा पग देवे तितरी है जाग' तो दोष नहीं तिण माग।
उभा पग देतां जो लग जाय, ते उपयोग री खामी जणाय॥ ५४ (३१) इमहिज चौमासे दर्शन काज, सचित्त टाळी जावे मुनिराज।
सेखे काळ जइ रहै रात, तिण री तो जुदी छै बात ॥ (३१) बाजरी माल ने समलाइ, सांमो चीणो मलेचो कहाइ।
इत्यादिक यां स्यूं मिलता पेख, न्हाना धान कया सुविशेख॥ एहवा नान्हा धान रो जाण, आटो छाण्यो अछाण्यो पिछाण।
तिण रे संघटे न लेणो आहार, तिणरो बुधवंत न्याय विचार॥ (३३) ए न्हाना धान तणों आटो ताय, पड़ियो है कछोटी रे माय।
ओसणियो तथा अणओसणियो, कछोटी माटा मांहि धरियो। तिण रे पलो लागो बहिरात, लीधां दोषण नहीं जणात । जो संघटो सरीर नो लागै, नहि लेणों असणादिक रागे॥
१. जगह। २,३,४,५ एक प्रकार के सूक्ष्म दाणे वाले धान्य विशेष।
३६२ तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था