Book Title: Terapanth Maryada Aur Vyavastha
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 452
________________ छतां ७८ तिहां पहिले दिवस साधां घर फरस्या छै, दिन बीजै नवा आयां पासो । आगला साधां अर्थे घर पर्शावता, स्वाम भिक्षु सुबिमासो ॥ साधां रे स्थानक बेसे साधवियां, ए भिक्षु रीत ताह्यो । बलि छोटो किमाड्यो खोलाय बहिरता, असणादिक मुनिरायो ॥ ए पिण भिक्षु में दोष बतायो, रूपचंद अखेरांमो । तेहिज दोष हिवै ए भाषै, सुद्ध ववहार में तामो ॥ ८१ बोल इत्यादिक भिक्षु छतां रा, तिण में कहै निश्चै दोषो । सुद्ध जीत ववहार उथाप्यो अज्ञानी, ते किणविधि जासी मोखो || ८२ छोटो किमाड्यो खोलाइ अनादिक, भिक्षु छता लेता ताह्यो । लगायो ॥ निश्चै दोष कहै छै तिण माहे, कुड़ा कु ८३ ते टाळोकर किमाड़ नै ८४ किमाड़ नै झूठी हुंडी वणाइ, छोटी मोटी लुगाइ री जाणो । किमाड़ीया ऊपर, दृष्टांत ध अयाणो ॥ किमाड़ीया ऊपर, छोटा मोटा गर्भ रो दृष्टांतो । स्वाम भिक्षु दियो तेह उथापी, कर रह्यो खेंच अत्यंतो ॥ ८५ कहै छोटी लुगाई सरीषो किमाड्यो, मोटी बाई सरीषो किमाड़ो । छोटी मोटी रौ संघटो साधु नै न करणो, तिम बिहुं खोलाइ न लेणो आहारो ॥ ८६ बाबीस 'टोळा तणां भेषधारी, भिक्षु तेहो । किमाड़ अने किमाड़ीया उपर, ८७ टाळोकर पिण तेहीज दृष्टांत, देवा स्वाम छता दृष्टांत देता लागो मूढ हो । बाळो । बले कहै भिक्षु ने साधु सरधु छं, इण रे आयो अभ्यंतर जाळो || ८८ बलै किमाड्रीयो निषेद काजै, मोटी छोटी लुगाई रौ दृष्टांत देवै । यां दोया रौ साधु नै संघटो नही करणो, ज्यूं किमाड्रीयो इ आहार न लेवै । गुरु चिरत सुणो भव जीवां ॥ ८९ संवत् अठारै वर्ष तेतीसै, जेठ सुदि बारस मंगलवार । ए कुगुर तणां चारित्र प्रकट कीधा, सैहर पीपाड़ तिण रै मझार ॥ ९० छोटी लुगाई ज्यूं कहै किमाड्यो, बले कहै भीखणजी सो साधो । आप भाषा से आप अजाण, तिण रे मोटी मिथ्यात री व्याधो ।। ९१ छोटी लुगाई सरीषो किमायो केहतो, मूर्ख मूळ न लाजै । लैकहै भीखण जी नै साधु सरधुं छू, तिण रा अपजस बाजा बाजै ॥ ९२ छोटी लुगाई सरीखो किमाड्यो थाप्यो, दी उपमा अति भूंडी । एहवो अजोग तिण दृष्टांत दीधो, तिण री प्रत्यक्ष खोटी हुंडी ॥ ९३ छोटी लुगाई सरीखो किमाड्यो थाप्यो, ते तो असुभ कर्म प्रतापो । अधिक तांण करी दोष बतावै, तिण रै प्रगट्या पूर्व पापो ॥ ४२६ तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था ७९ ८०

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