Book Title: Terapanth Maryada Aur Vyavastha
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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चोवीसवीं हाजरी
पंच सुमति तीन गुप्त पंच महाव्रत अखंड आराधणां । तीर्थंकर आचार्य री आज्ञा सुद्ध पाळणी। तथा भीखणजी स्वामी सूत्र सिद्धांत देख सरधा आचार प्रगट कीयो-विरत में धर्म, अविरत में अधर्म। आज्ञा मांहे धर्म, आज्ञा बारै अधर्म। असंजती रो जीवणो बंछे ते राग, मरणो बंछे ते द्वेष, तिरणो बंछै ते वीतराग देव नो मार्ग।
तथा संवत् १८५० रे वरस भीखणजी स्वामी मर्यादा बांधी-किण ही साध आ· में दोष देखे तो ततकाळ धणी नै कहणो, तथा गुरां नै कहणो, पिण ओरां नै न कहिणो। घणां दिन आडा घाल नै दोष बतावै तो प्राछित रो धणी उ हीज छै।
तथा संवत् १८५२ वरस आर्सा रे मर्यादा बांधी तिण में एहवो कहयो-किण ही साध आर्यों में दोष देखे तो दोष रा धणी नै कहिणो, तथा गुरां नै कहिणो, पिण और किण ही आगै कहिणो नही। किण ही आर्यां दोष जांणनै सेव्यो हुवै ते पांना में लिखियां विनां विगै तरकारी खाणी नही। कोइ साधु-साधवियां रा अवगुण काढे तो सांभळवा रा त्याग छै। इतरो कहणो-'स्वामी जी नै कहिजो' जिण रा परिणाम टोळा मांहे रहिण रा हुवै ते रहिजो। पिण टोळा बारै हुवा पछै साधु-साधवियां रा अवगुण बोलण रा अनंत सिद्धां री साख कर नै त्याग छै। बलै करली-करली मर्यादा बांधे त्यां में पिण रा कहिण राअनंता सिद्धां री साख कर नै त्याग छै। तथा चोतीसा रा वरस आर्या रे मर्यादा बांधी तिण में कह्यो-टोळा सूं छूट न्यारो हुवा री बात माने त्यां नै मूरख कहीजे त्यां नै चोर कहीजे।
तथा पचासा रा लिखत में तथा गुणसठा रा लिखत में कह्यो-कर्म धक्को दीधां टोळा सूं टळे तो टोळा रा साध-साधव्यां रा हुंता अणहुंता अवर्णवाद बोलण रा त्याग छै। टोळा नै असाध-सरध नै नवी दिख्यो लेवे तो पिण अठीरा साध-साधवियां री संका घालण रा त्याग छै। उपगरण टोळा मांहि करै ते, परत पाना लिखे जाचे ते, साथे ले जावण रा त्याग छै।
तथा जिलो न बांधणो संवत् १८४५ रा लिखत में कह्यो-टोळा मांहे पिण साधां रा मन भांग नै आप-आप रे जिले करै ते तो महाभारीकर्मों जाणवो, विसवासघाती जांणवो। इसड़ी घात-पावड़ी करै ते तो अनंत संसार नी साइ छै। इण मर्यादा प्रमाणे चालणी नावै। तिण नै संलेखणां मंडणो सिरे छै। धनै अणगार तो नव मास माहे आत्मा रो कल्याण कीधो ज्यूं इण नै पिण आत्मा रो सुधारो करणो। पिण अप्रतीतकारियो काम न करणो, रोगिया विचै तो सभाव रा अजोग नै मांहे राख्यो भूडो छै यां बोला री मर्यादा बांधी ते लिखी छै, ते चोखी पाळणी। अनंता सिद्धां री साख कर नै पचखांण छै। ए पचखांण पाळण रा परिणाम हुवै ते आरै हुयजो। विनै मारग चालण रा परिणाम
चौबीसवीं हाजरी : ३०९