Book Title: Terapanth Maryada Aur Vyavastha
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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टोळा सूं आप न्यारो थया, इन सरधा रा बाई भाई हुवै त्यां रहणो नही। एक बाई भाई हुवै तिहां रहिणो नही | वाटै वहतो एक रात कारण पडिया रहै तो पांचू विगै ने सूंखड़ी खावा रा त्याग छै । अनंता सिद्धां री साख कर नै त्याग छै ।
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तथा संवत् १८५० रे वर्स कह्यो - कोइ टोळा रा साध-साधव्यां में साधपणो सरधो, आप मांहि साधपणो सरधो, तिको टोळा में रहिज्यो । कोइ कपट दगा सूं साधां भेळो रहै तिण नै अनंता सिद्धां री आंण छै। पांचू पदां री आण छै । साध नाम धराय नै, असाधा भेळ ह्यां अनंत संसार वधै छै । जिण रा चोखा परिणांम हुवै ते इतरी परतीत उपजाओ । किण ही साध - साधव्यां रा ओगुण बोल नै किण ही नै फार नै मन भांग नै खोटा सरधावण त्याग छै । कि हीरा परिणांम न्यारा होण रा हुवै जद ग्रहस्थ आगै पेळा री परती करण त्याग छै । जिण रो मन रजाबंध हुवै चोखी तरे साधपणो पळतो जांणे तो टोळा मांहे रहिणो, आप में अथवा पेला में साधपणो जांण नै रहिणो ठागा सूं मांहि रहिवा रा अनंता सिद्धां री साख सूं पचखाण छै । इम पचासा रा लिखत में कह्यो । ते भणी पेली तो गण में र जरे अनेक विनय भक्त करे, गणरी रीत सर्व साचवे, मर्यादा पाळे अनै सासण नै दिढावे। पछै स्वार्थ अणपूगां गण सूं टळै ने अनेक अवगुण आळ पंपाळ फरमी भाषा, झूठी भाषा आदि अनेक झूठी भाषा आदि अनेक झूठ बोले तो तिण री बात एक लेखां में नी । आगे पण वीरभांण जी तेरा माहिलो नीकळ नै अनेक अवर्ण फिरमा वचन बोल्यो, तिण उपर भीखणजी स्वामी जोड़ी ढाल उण री कहण री बाता घाली उण रा चिरत पिण ओळखाया ते गाथा
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'अनंता सिद्धां री साख करै नै, चेलो करण रा किया पचखांण । ते पण सूंस भांगै चेला कीधा, तिण अनंत सिद्धां री भागी है आंण । तिण नै साधु किणविध सरधीजे ॥ ध्रुपदं ॥
स भांगे नै चेला करतो नही सकै, तेतो होयग्यो निश्चे इ भागळ भिष्टी । ते तो पड़ गयो च्यार तीर्थ नै बारै, तिण नै किण विध साध सरधे सम दिष्टी ॥ सगळा साध भेळा होय मरजाद बांधी, तिण मर्याद में सूंस किया छै अनेक । ते पिण सूंस सगळा इ भांग्या, झूठ बोले मूढ विना विवेक ॥ सगळा साध मिल नै मरजादा बांधी, ते सूंस लिख्या छै पाना रे मांय । तिण लिखत हेठे सगळा आखर कीधा, अनंत सिद्धां री साख ठहराय ॥ ए सूंस मर्यादा भांगे तिण नै, गिणवो नहीं च्यार तीर्थ रे मांही ।
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तिनै नंदक जाणवो च्यार तीर्थनो, तिण नै वादे त्यां नै पिण आगन्या नाहीं ॥ इसड़ा सूंस कर नै पाना में लिखिया, अनंता सिद्धां री साख कर नै ताय । ते पिण सूंस सगळा इ भांग्या, बलै जांणी - जांणी बोले मूसावाय ॥
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१. लय : मेघ कुंवर हाथी रा भव में।
सताईसवीं हाजरी : ३२१