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अथवा आप ही न्यारो थयां इण सरधा रा बाई भाई हुवै त्यां रहिणो नहीं। बाटै वहैतो एक रात कारण पड़िया रहै तो पांचू विगै नै सूखड़ी खावा रा त्याग छै। अनंता सिद्धां री साख कर नै छै। टोळा रा साध-साधवियां में साधपणो सरधो,आप माहै साधपणो सरधो, तिको टोळा माहै रहज्यो। कोई कपट दगा सूं साधा भेळो रहै, तिण नै अनंता सिद्धां री आण छै। पांचू पदां री आंण छै। साध नाम धराय नै असाधां भेळो रह्या अनंत संसार वधै छै। जिण रा चोखा परिणाम हुवै ते इतरी परतीत उपजाओ। किण ही साध साधवियां रा ओगुण बोल नै किण रो मन भांग नै खोटा सरधावा रा त्याग छै। किण ही रा परिणाम न्यारा हुवण रा हुवै जद ग्रहस्थ आगै पेला री पडती करण रा त्याग छै। जिणरो मन रजाबंध हुवै चोखी रीते साधपणो पळतो जाणो तो टोळा मांहि रहिणो। कोई कपट दगा सूं रहिणो नहीं। आप में अथवा पेला में साधपणो जाण नै रहिणो। ठागा सूं माहै रहिण रा अनंता सिद्धां री साख सूं पचखांण छै। तथा भीखणजी स्वामी चंदू वीरां नै अजोग जाण नै काढी ते ढाळ१ 'टोळा बारे काढी जद रोवती बोली, म्हांने मती काढो आप टोळा बारै। विलविलाट तो कीधा इण विविध प्रकारे,इण बोल्या में साच न जाण्यो लिगार।
टोळा री दाळोकर रो संग न कीजै॥धुपदं॥ २ मर्यादा बांधी ते तो लोप दीधी छै, सूंस कराया ते पिण दिया उड़ाय।
अनंता सिद्धां री आंण पिण भांगी छै पापण,तिण नै कुण राखसी टोळा रे माय। ३ गुर-वैन ने फाड़ नै चैली कीधी छाने, ओ पण मोटो दोष चोरी लागो॥
बलै दोष अनेक चोड़े-धाड़े सेव्या, तो ही टोळां माहै रहिवा रो मन आघो॥ ४ कूड़ा-कूड़ा आळ साधवियां नै दीधा, गुर-बैन ने चैली करवा रे तांइ।
तिण रो मन भांग्यो साधु-साधव्यां थकी, तिण नै कुण राखसी टोळा रे मांहि ॥ ५ साध साधव्यां ने असाध ठहराया, आप तो पोते साधवी ठैरी।
विकलां आगै वणी छै कूकड़धम ज्यू, एहवी जैन री बिगड़ायल गैरी॥ ६ हिवै साध आय काढ़ी सगळां री संका, आळ दिया त्यांरो काढ्यो निकाळो।
जब लोकां पिण झूठी जाणे लीधी तिण नै।इण पापण रो मूंढो कर दियो काळो॥ ७ फिट-फिट हुइ छै च्यारूं तीर्थ में, च्यारूं तीर्थ में जांणी खोटी विशेष।
कह्यो निरलजी नागड़ी लज्जा रहीत छै, या तो पैहर बिगाड्यो साधु रो भेष॥ ८ थोड़ी घणी जो यां में लाज शर्म हुवै तो, सैंहदा लोकां में मूढो नहीं दिखावे।
पिण लाज न सर्म जाबक छोड़ बैठी, बलै साधपणा रो नाम धरावै ॥ ९ ए साधपणो तो खोय बैठी छै, बलै समकत पिण दीसै छै खोइ।
ए लौकिक रो पिण डर नही राखै, यां नै हटकण वालो न दीसै कोइ ।।
१. लय-आ अणुकंपा जिण आगन्या में
छब्बीसवीं हाजरी : ३१७