Book Title: Terapanth Maryada Aur Vyavastha
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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अनंता सिद्धां री साख सूं पचखांण छै। टोळा मांहे रहै जठा तांइ उण रा छै टोळा सूं न्यारो हुवै जद पानां टोळा रा साधां रा छै । साथे ले जावण रा त्याग छै । परत पांना जाते पण बड़ा री टोळा री नेश्राय जाचणा, आप री नेश्राय जाचण रा पचखांण छै । जे कोइ अजांणपणे जाचणी आवै तो पिण परत पाना बड़ा रा छै, टोला रा छै, वा नै पण साथ ले जावण रा त्याग छै । पातरो लोट जाचे टोळा मांहे थकां ते पिण बड़ा री श्राय जाणो | बड़ा देवे ते ळेणो, ते पिण टोळा मांहि छै जठा तांइ । टोळा बारै जाय तो साथ ले जावण रा त्याग छै। कपड़ो नवो हुवै ते पिण टोळा बारै ले जावण रा त्याग छै। दिख्या देणी ते पिण बड़ा रे नांमे देणी । आप आप रै चेलो करवा रा त्याग छै । आगे पानो लिखियो छै- तिण में साधां रे मरजादा बांधी छै-तिण प्रमाणे सगळा रे त्याग छै उवा मरजादा पिण उलंघण रा त्याग छै। जो किण ही साध मरयादा रो उलंघवो कीधो अथवा आगन्या मांहै नहीं चलिया अथवा किण ही नै अथिर परिणांमी देख्यो अथवा टोळा माह टिकतो न देख्यो तो ग्रहस्थ नै जणावण रा भाव छै । साध - साधव्यां नै जणावण रा भाव छै । पछै कोइ कहोला म्हारी लोकां मांहै टोळा मांहै आसता उतारी। तिण सूं घणां सावधांन पणे चालज्यो । एक-एक नै चूक परया तुरत कहिज्यो | म्हां ताइ कजियो आणज्यों मती। उठे निवेरज्यो, पूछ्यां अथवा अणपूछ्यां बीती बात कही बाकी उठे ही निवेर लेणी । कोइ टोळा मां सूं टळ नै साध - साधवियां रा दोष बतावै अवर्णवाद बोले ति नै झूठाबोलो जाणणो । साचो हुवै तो ज्ञानी जाणे । पिण छदमस्थ राववहार में तो झूठो जांणणो । एक दोष सूं बीजो दोष भेळो करै ते तो अन्याइ छै।
हुवै ते विचार जोयज्यो । लूखे खेतर तो उपगार हुवै ते छोड़ नै न रहे, आछे खेतर उपगार न हुवै तो ही पर रहै । ते यूं करणो नहीं । चोमासो तो अवसर देखे तो रहणो, पिण सेषे काळ तो रहणो ही । किण री खावा पीवादिक री संका पड़ै तो उण नै साध कहै, बड़ा कहै ज्यूं करणो, दोय जणां तो विचरे नै आछा आछा मोटा साताकारियां क्षेत्र लोळपी थकां जोवता फिरै नै रहै, गुर राखे तठे न रहै, इम करणो नहीं छै । घणां भेळो रहितो दुखी, दोय जणां में सुखी, लोळपी थको यूं करणो नहीं छै । आप किण ही नै परत पांना उपगरण देवे ते तो आघाइज' देणा पिण न्यारो हुवै जद पाछा मांगण रा त्याग छै । जिण री आसंग हुवै ते देज्यो । आर्य्या सूं देवो लेवो लिगार मातर करणो नहीं। बड़ा री आज्ञा विना आगै आर्य्या हुवै जठै जाणो नहीं । जाए तो एक रात रहिणो, पिण अधिको रहिणो नहीं, कारण पड़िया रहै तो गोचरी रा घर बांट लेणां, पिण नित रोनित पूछो नहीं । कने बैठण देणी नहीं उभी रहिण देणी नहीं, चरचा बात करणी नहीं। बड़ा गुरवादिक रा कह्या थी कारण री बात न्यारी छै। सरस आहारादिक मिलै तिहा आग्या विना रहिणो नहीं, बलै काइ करली मरजादा बांधी तिण में ना कहिणो १. सम्पूर्ण रूप से ।
तेईसवीं हाजरी : ३०५