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२१. आर्यां आगै कोठार मांड्यो छै। ५. २२. म्हारा विगै रा त्याग परूपो मती, ए कहूंछूज सूंस कोय नहीं। २३. विनां री ढाळां में माहरा कानी-कानी घाटा बांध्या छै। २४. पनां नै आमना' जणाय नै मोने वंदणा छोड़ाइ छ। २५. माहरी आगली बातां लोकां आगै कहिता दीसै छै। २६. विनां री ढाळा रै वाचण रो अणदाजी नै तिलोकचन्द कह्यो तै म्हारै
वासते। २७. अणदाजी नै कह्यो थे म्हारे साथ आवो तो कोइ अटके नहीं अखेराम तो
आवै तो ठीक लागै नही। २८. जो देवता आय नै कहै ए मोटा पुरुष छै तो मा। २९. जब अणदेजी कह्यो-जो देवता आय नै कहै ढूंढिया मोटा पुरुष छै, तो
मानो? जब पाछो कह्यो-ढूंढिया नै साचा न जांणू। ३०. इत्यादिक अणदेजी कह्यो। अनेक अवगुण बोल्या। मोने फाड़वा तांइ और
'तो अबारूं मोने याद आवै नहीं। पिण बोल्या घणां। ३१. जब अणदेजी कह्यो- थे यां नै साध सरधो छो के नहीं ? जद वीरभांणजी ____ कह्यो-असाध तो कहणी आवै नहीं। आगै ही साधां रा ढीला टोळा
चालिया छै। ३२. एक खोटो दृष्टांत बली दीधो-पातसाई में च्यार जणा ठागो कर नै
पातसाइचलाइ। च्यांरू जणां ज्यूं ए दीसै छै। ए सर्व बोल अणदाजी रा कह्या स्यूं लिख्या छै। लिखतूं ऋष अणदा रो। ए सर्व अणदेजी लिखाया। भीखणजी स्वामी लिख्या। त्यांरा हाथ रो पांनो छै। त्यांरी देखा देख ए
उतारयाछै। इत्यादिक घणां ओगुण बोल्या। पछै विहार कर नै गाम चेलावास में आया । भेळा हुआ। पाछली रात रा वीरभाण कने आय नै कह्यो-स्वामीजी माहरे तो आहार री संका परी, सो अबे ठीक लागै नही। एक पछेवड़ी आर्या इधकी राखी, वरस तांइ साधां रखाइ। मटु कह्यो छै, जब म्हे कह्यो। इण बातरो इतरा दिन आघो क्यूं न काढ्यो। पिण भळा अबेइ निकाळो काढो। राखण रखावण वाळा ने दंड देस्या। जद वीरभाणजी कह्यो स्वामी जी आगै तो पांच विसवा, अवै वीस विसवा अप्रतीत उपनी, थांरा भेद में रही छै। बले एक पनां नै भिष्ट कीधो छै। जब हरनाथजी बोल्या-पछेवड़ी रो अणहुँतो क्यांने झूठ बोलो। थां रे मन में तो ओर दीसे छ। पनां नै लेवा रा परिणाम दीसै छै। ए अणहुता आळ देतो जांण्यो जब नखेद न दूरो कीयो, तिण सूं बल अवगुण बोल्या
१. गुप्त संकेत।
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तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था