Book Title: Terapanth Maryada Aur Vyavastha
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text
________________
१
२
३
४
५
६
७
८
१०
११
१२
१३
१४
घर छोड़ थया ऋखपाल, महामुनि गणमाळ आछे लाल । रति अरति नै परहरै ए ।। राचै रूप न झै सुगंध मांहै सही ॥
शब्द मनोहर
जोय, न
सुभ जोय ।
मांय, फर्श
मनोहर
मन गमता रस
स्त्रीय तणां
पुद्गळ
रमणी
महिला
पुद्गळ
वंदै पूजै
ना
ढाळ १५
पंच
काम
राखसणी
मोटो
तसु
परभव सुख
भोग,
सुख
ग्रधपणो मुनि
दुर
दाता
संग परचो त्यांरो नहीं
पेख, नंदीफळ
जांण,
फंद, राच
प्रकार,
श्रीकार,
नर-नार, मानै
नंदी फळ ज्यूं काम
नंदी फळ ज्यूं काम
विषफळ
महाविकराळ,
पहिळा सुख अल्पकाळ,
१. लय - ज्ञाता री जोड़ आछै लाल
१५६
रोग ।
करै ।।
सम
देख ।
मुनिवर मूळ राचै नहीं ॥ चारित्र नीं करै हांण । संग टाळे मुनिवर सही ॥ रह्या नर इंद।
छांड मुनि न्यारा थया ।। लिगार | न करै समता रस में गह गह्या ।। सतकार ।
सहू ॥
मझार ।
पावियै ॥
मूर्छा
भोग,
तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था
ताय ।
परहरै ॥
भोग,
ए भव सेण हुवै पोंहचै मोख
आत्मिक सुख टाळयां हुवै आरोग
जामण मरण मिटावियै ॥
टाळयां हुवै आरोग। उत्तम नर राचै नहीं ॥ करै अकाळे
काळ ।
खाए ते सगळा मरे || पछै पांमै दुःख असराळ। अनंतकाळ परलोक में ॥