Book Title: Terapanth Maryada Aur Vyavastha
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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आठवीं हाजरी
संवत् १८४५ रे वरस भीखणजी स्वामी मरजादा बांधी-जे कोइ सरधा रो आचार रो सूतर रो अथवा कल्प रा बोल री समझ न पड़े तो गुर तथा भणणहार साधू कहे ते मान लेणो। नहीं तो केवळी न भळावणो पिण और साधु रे संका घालने मन भांगणो नहीं। एहवू कयूं।
तथा पचासा रा लिखत में कह्यो-"कोई सरधा आचार नो नवो बोल नीकळे तो बड़ा सूं चरचणो, पिण ओरां सूं न चरचणो। ओरां सूं चरच ने ओरां रे संका घालणी नहीं। बड़ा जाब देवे आपरे हिये बेसे तो मान लेणो, नहीं बेसे तो केवळी ने भळावणो पिण टोळा मांहे भेद पाड़णो नहीं, एहवो कह्यो।
तथा गुणसठा रा लिखत में पिण कह्यो-किण ही ने दोष भ्यास जाय तो बुधवन्त साधु री प्रतीत कर लेणी पिण खांच करणी नहीं, इम अनेक ठामें सरधा आचार रो बोल चरचणों बरज्यो। गुरु तथा बुधवंत साध कहे ते मान लेणो कह्यो। गुरां री प्रतीत राखणी कही। तथा माहोमांहि जिलो पिण अनेक लिखत जोड़ में बरज्यो छै। रास में पिण 'गुरु सुकावे तो उभो सूके' इहा पिण जिला ने निषेध्यो छै तथा पेंताळीसा रा लिखत में पिण एहवू कह्यो-साधां रा मन भांगने आपरे जिले करे ते तो महाभारीकर्मो जाणवो। विश्वासघाती जाणवो। एहवी घात पावड़ी करे ते तो अनंत संसार नी साइ छै, इण मरजादा प्रमाणे चालणी नावे तिण ने संलेखणा मंडणो सिरे छ।
तथा चंद्रभाणजी तिलोकचंन्दजी नो जिलो जाणने टोला बारे किया, एहवो सेंतीसा रा लिखत में कह्यो-तिलोकचन्दजी चन्द्रमाण ने विस्वासघाती जांण्या सुखांजी आश्री दगाबाजी करता जाण्या। गुरद्रोही जाण्या। टोळा मांहे भेद रा पाड़णहार जाण्या, धर्म आचार्य ने साधु-साधवियां रा अवगुण रा बोलणहार जाण्या। धर्म आचार्य री खिष्टी रा करणहार जाण्या। धर्म आचार्य ने साधु-साधवियां ऊपर मिथ्यात पड़िवज्यो जाण्या। धर्म आचार्य आदि देइ ने साधु-साधवियां रा छिद्रपेही छिद्रनां गवेषणहार जाण्या। उपसम्या कळह रा उदीरणहार जाण्यां। आलोइ पडिकमी ने सुद्ध हुवा त्यां बातां रा उदीरणहार जाण्या। साधु-साधवियां ने माहोमां कळह रा लगावणहार जाण्या। गुरु सूं सनसुख ने बेमुख करता जाण्या। टोळा मांहे छाने २ साधु-साधवियां ने आपणा करणा मांड्या जाण्या। गुरु सूं फटाय ने आपणा करणा मांड्या जाण्या। धर्म आचार्य आदि देइ ने साधु साधवियां माथे अनेक विध आळ ना देणहार जाण्या। टोळा मांहिने दगाबाजी करता जाण्या। माहोमां मिलने एको कीधो ने एको करता जाण्या। आप सूं मिलियो चाले तिण री पषपात करता जाण्या। ओरा ने निषेदता मांडता जाण्या। आहमी साहमी सापांदूती कर २ मांहोमां मन भागणां मांड्या जाण्या। बले अहंकारी अवनीत
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