Book Title: Terapanth Maryada Aur Vyavastha
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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१४ उ गुर रा गुण सुणनै बिलखो हुवे, ओगुण सुणे तो हरष थाय।
एहवा अभिमानी अवनीत तेहने, ओलखाउं भवजीवां ने इणन्याय॥ १५ कोई प्रतनीक अवगुण बोले गुर तणा, अवनीत गुरद्रोही पासे आय।
तो उत्तर पड़उत्तर न दे तेहने, अभिंतर में मन रलीयायत थाय।। प्रतनीक अवगुण बोले तेहनी, जो आवे उण रे पूरी परतीत । तो अवनीत एकठ करे उण सूं घणी, उ गुर रा अवगुण बोले विपरीत।। बले करे अभिमानी गुर सूं बरोबरी, तिणरे प्रबल अविनो नै अभिमान। उ जद तद टोळा में आछो नहीं, ज्यूं बिगड्यो बिगाड़े सड़ियो पान। उ खिण मांहे रंग विरंग करतो थको, बले गुर सूं पिण जाए खिण में रूस। जब गूंथे अज्ञानी कूड़ा गूंथणा, ओर अवनीत सूं मिलण री मन हूंस॥ जो अवनीत ने अवनीत भेळा हुवे, तो मिल-मिल करे अज्ञानी गूझ । क्रोध रे वस गुर री करे असातना, पिण आपो नहीं खोजे मूढ़ अबूझ॥ जो अवनीत अवनीत सूं एकठ करे, ते पिण थोड़ा में बिखर जाय। त्यारे क्रोध अहंकार ने लोळपणो घणो, ते तो साधां में केम खटाय॥ उण ने छोटां ने छांदे चलावण तणी, ते पिण अकल नहीं घट मांय।
बड़ा ने छांदे चाल सके नहीं, तिण रा दुःख मांहि दिन जाय॥ २२ पुस्तक वस्त्र पाना ने पातरा, इत्यादिक साधू रा उपध अनेक ।
गुर ओर साधां ने देता देखने, तो गुर सूं पिण राखे मूर्ख धेष २३ जब करै माहोमां खेदो ईसको, बले बांछे उत्तम साधां री घात।
तिण जन्म बिगाइयो करे कदागरो रे, करै माहोमा मन भांगण री बात॥ २४ एहवा अभिमानी ने अवनीत ने अवनीत री, करे भोळा भारीकर्मा परतीत।
उण रा लखण परिणाम कह्य छै पाड़वा, कोइ चतुर अटकल सी तिणरी रीत॥ एहवा अवनीत रा लषण कह्या छै तथा पेंतालीसा रा लिखत में एहवो कह्यो-"टोळा मांहे कदाच कर्म जोगे बारे पड़े तो टोळा रा साध-साधवियां रा अंस मात्र ओगुण बोलण रा त्याग छै। यारी अंस मात्र शंका पड़े आसता उतरे ज्यूं बोलण रा त्याग छै,टोळा मां सूं फार ने साथे ले जावा रा त्याग छै। उ आवै तो ही ले जावा रा त्याग छै। टोळा मांहे नै बारे निकळयां पिण अवगुण बोलण रा त्याग छै। माहोमां मन फटे ज्यूं बोलण ना त्याग छै। इम पेंताळीसा रा लिखत में कह्यो। ते भणी सासण री गुणोत्कीर्तन सूप बात करणी। भागहीण हुवे सो उतरती बात करे, तथा भागहीण सुणे, सुणी आचार्य नै न कहै ते पिण भागहीण। तिण ने तीर्थंकर नो चोर कहणो. हरामखोर कहणो तीन धिकार देणी।
सातवीं हाजरी : २२३